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ठेका श्रमिकों का शोषण करता है कार्तिक एलॉय प्राइवेट लिमिटेड

कारखाने के बाहर विरोध प्रदर्शन करते ठेका मजदूर

कारखाने के बाहर विरोध प्रदर्शन करते ठेका मजदूर

प्लांट का गेट बंद होने से भड़क गए मजदूर

दुर्गापुर: शनिवार की सुबह को 37 नंबर वार्ड रातड़िया अंगद पुर में काम करने के लिए श्रमिक कार्तिक एलायस प्राइवेट लिमिटेड गेट के समक्ष पहुँचे तो देखा कि करखाना बंद हो गई है। सिक्योरिटी गार्ड से पूछा तो बताया कि डीवीसी ने कल रात से बकाया बिल नहीं देने पर लाइन काट दिया है । यह सुनकर श्रमिकों में आक्रोश का माहौल बन गया और गेट के समक्ष को प्रदर्शन करने लगे ।

ठेका मजदूरों का शोषण करती है यह फैक्ट्री

आनंद बावड़ी गौतम पात्र दीपक मंडल आदि श्रमिकों ने बताया कि कार्तिक एलॉय प्राइवेट लिमिटेड की ओर से श्रमिकों को शोषण किया जाता है। यूनियन की ओर से जो काम करते हैं श्रमिक उन लोगों को ज्यादा मजदूरी दी जाती है बाकी श्रमिकों को ₹120 से लेकर ₹220 तक हाजिरी दी जाती है । इसके अलावा पीएफ, ईएसआई सेफ्टी कुछ नहीं मिलता है। हम लोग कॉन्ट्रैक्टर के अंदर से काम करते हैं 90 श्रमिक आज से बैठा दिया गया। हम लोगों को बिना कुछ कहे मैनेजमेंट काम से हटा दिया है। इस संपर्क में मैनेजमेंट कुछ नहीं बोलना चाहती है ना ही यूनियन हम लोगों को मदद करती है । बंद हो जाने से हम लोगों का परिवार चलाना बहुत ही मुश्किल हो जाएगा। इस प्लांट में दो सौ श्रमिक और यूनियन सहित उनके अधिकारी काम करते हैं । आज से प्रोडक्शन भी बंद कर दी गई है । पश्चिम बर्दवान जिला तृणमूल कांग्रेस के कार्यकारी सभापति उत्तम मुखर्जी दे बताया कि सभी श्रमिकों को बुलाया गया है बातचीत की जाएगी तथा कंपनी के मैनेजर से बात कर उन लोगों को फिर से काम पर रखने के लिए कहा जाएगा।

श्रम आयोग की निष्क्रियता से हो रही है ऐसी घटनाएँ

गौरतलब है आसनसोल-दुर्गापुर क्षेत्र में कोलियरी खदान एवं कई फैक्ट्रियों में गाहे-बगाहे इस तरह के मामले सामने आते रहते हैं जिसमें ठेका मजदूर अपने शोषण की बात करते हैं परंतु हैरत की बात है कि जिला मुख्यालयों में बैठे श्रम आयुक्तों द्वारा कोई कार्यवाही नहीं की जाती है जबकि श्रम आयोग का यह दायित्व है कि वह इस बात की निगरानी रखे कि उनके अधिकार क्षेत्र में किसी मजदूर के साथ शोषण न हो। परंतु उनका दायित्व संगठित मजदूरों पर ही समाप्त हो जाता है । असंगठित और ठेका मजदूरों पर किसी का ध्यान नहीं जाता है। ऐसी भी खबरें आती है कि प्रबंधन और स्थानीय नेता मजदूरों का पैसा खा रहे हैं पर न तो मामले की जाँच होती है और न ही कार्यवाही।

Last updated: मार्च 17th, 2018 by Durgapur Correspondent