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कविता पाठ और विमर्श के माध्यम से कवियों ने सामाज के ज्वलंत मुद्दों को सामने रखा

गणमित्र प्रकाशन की ओर से रविवार को षष्टिगोरिया स्थित पब्लिक लाइब्रेरी के सभागर में कविता पाठ और विमर्श का आयोजन हुआ। इसमें जिन कवियों के कविता का पाठ किया गया ,उनमें कवि निशांत,राज्यवर्द्धन, मार्टिन जॉन, दिनेश कुमार,विनय सौरभ और आलोचको में डॉ. अरुण होता, डॉ. विजय कुमार भारती, डॉ. के के श्रीवास्वत, डॉ. मनोज कुमार शुक्ल,संजय सुमति शामिल है।

उद्घाटन सत्र का संचालन दिनेश कुमार, जबकि कविता पाठ सत्र का संचालन रवि शंकर सिंह और आलोचना सत्र का संचालन रामजी सिंह यादव ने किया। अन्य विशिष्ट लोगों में शिव कुमार यादव, अरविंद कुमार सिंह, बीना क्षत्रिय, महावीर राजी, डॉ० जयराम, निर्मल नवेन्दु, राजेश्वर शर्मा, मनोज कुमार सिंह थे। डॉ० विजय कुमार भारती ने कहा ये कविताएँ तार्किक हैं, सम्वेदना को विकसित करती हैं।

इन्होंने विनय सौरभ की बख्तियार पुर, जिल्दसाज कविता की चर्चा की ओर मार्टिन जॉन और दिनेश कुमार की कविता कीडा की चर्चा की गई। निशांत कीलर इंस्टैंट कविता की चर्चा भी की गई। केके श्रीवास्तव ने दिनेश कुमार की जब-जब काटते हो एक पेड़ और निशांत की कविताओं की उल्लेख किया। डॉ० मनोज ने कहा कि हमें गहराई से विचार करना होगा कि हम कैसे भू मंडलीकरण को रोक पाये।

डॉ० अरुण होता अध्यक्ष ने इस साधु प्रयास की बहुत सराहना किये। सूरदास की हाट और आज के बाजार के बीच के अंतर को स्पष्ट किया। इन्होंने कहा कि हिंदी कविता ने बाजारवाद को पहले पहचाना। अरुण होता जी ने केदारनाथ सिंह का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी कवियों में विरोध और प्रतिरोध है। अरुण होता ने राज्यवर्धन की कविता कबीर आज नहीं रोता, खेल सिपाही, राजा मंत्री के हवाले जनता की अनुपस्थिति की चर्चा की। विनय सौरभ की कविता के संदभों में अपने परम्पराओं की कटने की बात की।

Last updated: फ़रवरी 3rd, 2019 by Raniganj correspondent