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जम्मू कश्मीर के लद्दाख में कल्याणेश्वरी से काम करने गए मजदुर की मौत

मृतक मजदुर के परिजन

कल्याणेश्वरी| कल्याणेश्वरी मंदिर से थोड़ी ही दूरी लेफ्ट बैंक स्थित नुतुन पाड़ा निवासी सरून हरिजन(35) तक़रीबन साढ़े तिन माह पहले मजदूरी करने जम्मू कश्मीर के लद्दाख गए थे, जहाँ बताया जाता है कि विगत सोमवार को उनके दिल की धड़कन रुकने से मृत्यु हो गयी, मंगलवार को परिवार को सूचना मिलने के बाद परिजनों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है, अलबत्ता पत्नी सकुन्तला हरिजन, 16 वर्षीय पुत्र कृष्णा हरिजन व् 12 वर्षीय पुत्री ज्योति हरिजन अपने पिता की अंतिम दर्शन हेतु शव आने के इन्तेज़ार में आँखे बिछाये बैठे है|

नुतुनपाड़ा स्थित बॉस और टाली की कच्ची मकान में मंगलवार की संध्या से ही लोगों की हुजूम उमड़ रही थी, हर कोई सरून की मौत की वास्तविकता जानने को आतुर थे, की आखिर किस स्थिति में सरून की मौत हुई थी, स्थानीय निवासी मोबाइल फोन से निरंतर संपर्क साध रहे थे| घटना को लेकर स्थानीय लोगों ने बताया की सरून लद्दाख से लगभग 300 किलोमीटर दूर भारत-चीन सीमा 56 एपीओ आर्मी बटालियन के अधीन सड़क निर्माण में दिहाड़ी कार्य करने गए थे| जहाँ उन्हें 400 रुपये की मजदूरी मिलती थी|

किन्तु मंगलवार को सहकर्मियों ने सरून के परिजनों को उनकी मौत की सूचना दी जहाँ बताया गया की उनका हार्ट अटेक हो गया है| हालाँकि परिवार को किसी ने पहाड़ से गिरकर मौत होने की भी सूचना दी किन्तु परिजन अभी भी मौत की वास्तविक कारण नहीं जान पाई है| हालाँकि सूत्रों की माने तो स्थानीय डिबूडीह से भी साथ में दो युवक सरून के साथ कार्य करने गए जिनके लौटने पर ही घटना की जानकारी चल पायेगी, साथ ही परिजनों की माने तो मृत्यु के बाद सरून का आर्मी द्वारा अंत्यपरीक्षण भी कराई जाने की खबर है, जिसकी प्रति स्थानीय प्रशासन को मिलने के बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी|

बताया जाता है कि विगत सोमवार साढ़े तिन बजे हृदयगति रुक जाने से सरून की मौत हो गयी थी अलबत्ता उनके सहकर्मी तथा ठेकेदार द्वारा सरून की पर दाह संस्कार कर देने की बात कही गयी अलबत्ता मामले को लेकर पश्चिम बर्धमान जिला अधिकारी को वहाँ स्थित आर्मी बटालियन मेज़र द्वारा सूचना भी दिया गया, किन्तु जिला अधिकारी द्वारा मामले की जानकारी तत्काल स्थानीय पुलिस और सलानपुर प्रखण्ड विकास पदाधिकारी को देते हुए परिजनों की राय ली गयी एवं तत्पश्चात एसडीओ प्रलय राय चौधरी की सकारात्मक प्रयास से शव बुधवार को आर्मी द्वारा कोलकाता भेजने की प्रक्रिया चालू कर दी गयी है, जबकि परिजन भी कल्याणेश्वरी से कोलकाता एयरपोर्ट के लिए रवाना हो गएँ है|

परिवार का इकलोता कमाऊ सरून ही था, हालाँकि उसकी कमाई से परिवार का भरण पोसन नहीं हो पता था, जिसके कारण कृष्णा को 16 वर्ष की उम्र में ही कलम छोड़, फावड़ा उठानी पड़ी और आज बध्य होकर उसकी जिंदगी भी बाल मजदूरी की चक्की में पिस रही है, 12 वर्षीय पुत्री ज्योति हरिजन डीवीसी लेफ्ट बैंक हायर सेकेंडरी स्कूल पढ़ती है, ऐसे में पिता की मौत के बाद परिजनों का भविष्य अंधकारमय हो गयी है| अलबत्ता ऐसे में परिजन राज्य सरकार तथा केंद्र सरकार की मुआवजा समेत शव की बाट जोह रहें है|

Last updated: अगस्त 22nd, 2018 by Guljar Khan