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पूर्वजों द्वारा बनाये गए सौ वर्ष पुराने काली मंदिर का किया जीर्णोद्धार

मधुपुर -कॉलेज रोड स्थित नवदीप धाम मंदिर में भक्ति का अलख जगा रहे हैं दयानंद सिंह। यहां 100 वर्ष पुरानी  माँ काली की मंदिर थी जिसका जीर्णोद्धार 3 वर्ष पूर्व दयानंद सिंह ने अपने निजी कोष से किया । साथ में ही यहां पर 9 अन्य छोटे-छोटे मंदिरों का निर्माण करवाया। मंदिर निर्माण के साथ यहां पर श्रद्धालुओं के बैठने के लिए बैठकी व एक कुआं भी बनवाए।

उनके पूर्वजों का बनवाया हुआ मंदिर है

दयानंद सिंह का कहना है कि वर्षों पूर्व यहां पर काली की मंदिर उनके पूर्वजों ने बनवाई थी जो कि पूरी तरह से जागृत है। मंदिर में दूरदराज से श्रद्धालु आते रहते हैं । जिस स्थान पर मंदिर है । वहां बहुत कम लोगों का घर है ।लेकिन जैसे -जैसे आबादी बढ़ती गई ,लोग बसते गए ।जिस जमीन पर मंदिर बनाया गया है । वह उनका अपना है  मंदिर तो बनकर आज 3 वर्ष से तैयार है । प्रतिदिन सुबह-शाम मंदिर में पुजारी जी के द्वारा पूजन आरती व भोग लगाया जाता है ।

बहुत जाग्रत है काली माँ

कॉलेज रोड निवासी पूर्व प्राध्यापक डॉ आशीष कुमार सिन्हा ने कहा कि हम सभी इस मंदिर से पहले अनभिज्ञ थे। जब से हम लोगों को पता चला कि यहां मंदिर निर्माण किया गया है हम सभी मोहल्ले वासी प्रतिदिन शाम में यहां जमा होते हैं और मंदिर में भजन कृष्ण पूजन करते हैं । माँ काली की मंदिर पूरी तरह से जागृत है यहां जो भी भक्त अपने मनोकामना को लेकर पहुंचते हैं उनकी मनोकामना पूर्ण होती है ।

मंदिर के विकास में मुक्त हस्त से दान की अपील

लोगों का कहना है कि मंदिर में एक चारदीवारी की कमी है। चारों और से खुला हुआ है । रात में आवारा पशुओं के आने का भय रहता है। जरूरत है लोग आगे बढ़कर सामाजिक सहयोग कर मंदिर का गेट व चारदीवारी निर्माण कराने में अपना सहयोग दें ।

मंदिर बनने से इलाके के लोगों में खुशी

मंदिर को लेकर मोहल्ले वासियों में भी काफी उत्साह है ।मोहल्ले वासी का कहना है कि हम जिस इलाके में रहते हैं । इस इलाके में एक भी मंदिर नहीं था। लेकिन दयानंद सिंह जी की देन है कि हम अब सुबह शाम मंदिर में आकर पूजन भजन कीर्तन व जयकारा लगाते हैं ।

हर गुरुवार को लगता है माँ को विशेष भोग

हर गुरुवार की तरह इस गुरुवार को भी मंदिर में खीर व खिचड़ी का भोग लगाया गया। इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद थे । जिनमें डॉ अश्विनी कुमार, परितोष लाला ,संजय मालो,सिकंदर यादव ,बैद्यनाथ रवानी समेत कई महिला पुरुष श्रद्धालु मौजूद थे।

Last updated: दिसम्बर 13th, 2018 by Ram Jha