राज्य के तमाम जिलों में छठ पूजा को बढ़ावा व उसके प्रचार प्रसार के लिए लागए 10-10 गाड़ियां
4 दिनों तक चलने वाले व 36 घंटो तक निर्जला व्रत रख कर देश के सबसे बड़े आस्था का महापर्व छठ पर्व मनाने वाले व्रतियों पर पश्चिम बंगाल की ममता सरकार इस बार जी भर कर अपनी ममता बरसा रही है ।
छठ पूजा के अवसर पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार 2 दिनों की छुट्टियां देती थी इस वर्ष एक दिन की छुट्टी और बढ़ा दी गई है । साथ ही राज्य सरकार के तरफ से छठ व्रतियों के लिए हर तरह के सहयोग करने का निर्देश भी जारी किया गया है । चाहे छठ घाटों की साफ सफाई हो या फिर छठ घाटों पे लाइट या गाजे बाजे ।हर तरह की ववस्था राज्य सरकार द्वारा छठ व्रतियों के लिए मुहैया करवाई जा रही है ।
आस्था के सबसे बड़े इस महापर्व छठ पूजा को बढ़ावा व उसके प्रचार प्रसार के लिए राज्य के तमाम जिलों में 10 -10 प्रचार गाड़ी चलाई जा रही है ।
इन प्रचार गाड़ियों को अच्छे तरह से सजाया गया है और उसमें लाउड स्पीकर फिट कर छठ के गाने बजाए जा रहे है । इस गाड़ी को जिले के तमाम गली कूचों से लेकर चौक चौराहों पे बजाए जा रहे है ।
इसकी शुरुआत आसनसोल से की गई है। आसनसोल के मेयर व तृणमूल कोंग्रेस जिलाध्यक्ष जितेंद्र तिवारी ने हरी झंडी दिखाकर इन प्रचार गाड़ियों को रवाना किया।
आसनसोल से ही जितेंद्र तिवारी ने पहली बार सूर्य मंदिर निर्माण की घोषणा की थी, उसके बाद मुख्यमंत्री ने भी सूर्य मंदिर निर्माण की घोषणाएं की थी।
सूर्य मंदिर के बाद अब प्रचार गाड़ी पर टिकी है उम्मीद
हालांकि सूर्य मंदिर से कोई विशेष कृपा इस चुनाव में तृणमूल को नहीं मिली थी । अब अगले वर्ष आसनसोल में नगर निगम चुनाव और दूसरे वर्ष विधानसभा के चुनाव होने हैं और इस बार तृणमूल को विशेष कृपा की आवश्यकता भी है । मेयर सह विधायक जितेंद तिवारी हर सभा में जनता से आशीर्वाद मांग भी रहे हैं । छठ पर्व में भी हिंदी भाषियों को लुभाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। अब देखना है कि छठ मइया उनपर कितनी कृपा करती है।
छठ की महिमा अपरंपार
हिन्दू समाज विशेषकर हिंदीभाषियों में महापर्व छठ पूजा की बड़ी मान्यताएं हैं। इस पर्व को बहुत ही नियम और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है । इस पर्व को लोग षष्टी पूजा के नाम से भी जानते है। यह पर्व लोग अपने बच्चों की दृघायु व बेहतर स्वास्थ्य के लिए भी मनाते हैं।
कहा जाता है कि छठ पूजा करने से व्रतियों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है, यही कारण है कि हिंदी भाषियों की सीमा से निकलकर छठ पर्व अब हिन्दू समाज में प्रवेश कर गया है और सभी प्रांतों में छठ मनाने वालों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।