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झारखंड सरकार ने दिया, चय दरगाह को पर्यटन स्थल का दर्जा,

हज़रत सरकार ए दूल्हा फतह उद्दीन गाज़ी रहमतुल्लाह अलैह का चैय दरगाह स्तिथ है। इस दरगाह को झारखंड सरकार के पर्यटन ,कला संस्कृति युवा खेलकूद मंत्रालय के द्वारा पर्यटन स्थल का दर्जा दिया गया। इसे लेकर जिला पर्यटन विभाग के द्वारा जगह जगह पर साइन बोर्ड भी लगाकर प्रचार प्रसार किया जा रहा है।

कई रहस्यों से भरा है चयकला स्तिथ चय दरगाह

हज़रत सरकार ए दूल्हा फतह उद्दीन गाज़ी रहमतुल्लाह अलैह का मजार का इतिहास काफी रहस्यमई भरा है। इस संबंध में चयकला पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि हेलाल अख्तर एवं पंचायत समिति प्रतिनिधि फैजान अजमेरी ने बताया कि हजरत दूल्हा शाह बाबा के मजार का का निर्माण के बारे में परफेक्ट डेट का पता नही है पर बुजुर्गों के द्वारा बताया जाता है कि मजार का निर्माण 200 से 300 वर्ष पूर्व निर्माण हुआ है। इस मजार शरीफ में जो भी अकीदतमंद लोग सच्चे मन से आते हैं उनकी हर मुरादे पूरी होती है।

आज भी दूल्हा शाह बाबा की रक्षा करते हैं मधुमक्खियों की फौज

उन्होंने आगे बताया कि इस मजार शरीफ का इतिहास में आज भी कई रहस्य छुपे हुए हैं। आज भी दूल्हा शाह बाबा की रक्षा में मधुमखियों की झुंड फौज के रूप में तैनात रहती है। तीन वर्ष पूर्व भी ऐसा देखा गया जब कुछ लोगों ने हजरत दूल्हा शाह बाबा के खिलाफ गुस्ताखी की तो मधुमखियों की फौज ने उन पर हमला कर दिया।

हीरे जवारहत से भरा है एक पत्थर, 11 अंगुली से उठा लेते हैं लोग

वहीं मजार के पास ही एक ऐसा पत्थर है जिसमें पत्थर या ईंट मारने पर टन टन की आवाज बाहर आती है। जिसके बारे में कहा जाता है कि इसमें हीरे जवाहरात हो सकते हैं। इस पत्थर को चोरों द्वारा कई बार चोरी करने का भी प्रयास किया गया पर उनके आंखे बंद हो गई और सुबह उन चोरों को लोगों ने पकड़ लिया। जब माफी मांगी तब उनके आंखों की रौशनी वापस आई।

वहीं इस पत्थर को सच्चे मन से 11 ब्यक्ति बाबा के नाम लेकर 11 अंगुली से भी उठाते हैं तो वजन में 60 – 70 किलो का यह गोल पत्थर को आराम से उठा लेते हैं। इस पत्थर को कोई लोगों ने काटने का भी प्रयास किया पर नही काट पाए। वहीं कुछ दिनों पूर्व तक शेर भी हर वर्ष आता था। जिसे कई लोग अपनी आंखों से भी देख चुके हैं।
उर्स मेले में हर वर्ष पहुंचते हैं लाखो अकीदतमंद
हर वर्ष बैशाख माह में यहाँ धूमधाम से सालाना उर्स आयोजीत की जाती है। जिसमें झारखंड सहित देश के कोने कोने से लाखों अकीदतमंद उर्स मेले में शरीक होते हैं। और बाबा पर चादर चढ़ाते हैं। यहां उर्स का आयोजन लगभग 100 वर्ष पूर्व से कोरोना के समय को छोड़कर हर वर्ष होते आ रहा है।

Last updated: अप्रैल 16th, 2023 by Aksar Ansari