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झरिया, प्योर बोर्रागढ़ का यह फुटबॉल ग्राउंड अपने विकास की आस देख रहा हैँ और जनप्रतिनिधि से पूछ रहा हैँ कि कब होगा मेरा उद्धार,

आज की यह तस्वीर अपने आप में बहुत कुछ कहती हुई दिखाई दे रही हैँ और समझदार लोगों के लिए एक सन्देश भी देकर जा रही हैँ कि वोट माँगने के समय किया पार्षद,किया विधायक और किया सांसद सभी लोग गली गली घूमकर वोट मांगते हैँ और जब कुछ काम करने की बारी इनकी आती हैँ तो ये लोग गायब हो जाते हैँ यह आज की फोटो तो यही बयान करती हुई दिखाई दे रही हैँ, यह एकमात्र बच्चों का खेलने का ग्राउंड हैँ जो की प्योर बोर्रागढ़ में हैँ किन्तु किसी भी राजनेता का ध्यान इस फील्ड की ऒर आजतक नहीं गया हैँ और ना ही इन नेताजी की किर्पा दृष्टि ही इस ग्राउंड पे इनायत हो पा रही हैँ चाहें छठ घाट की साफ सफाई का मुद्दा रहा हो या अब इस ग्राउंड की साफ सफाई का तो ये बुजुर्ग खुद अगर हाथ में कुदाल और फावड़ा लें ले तो आप और हम किया कहेँगे वैसे ये काम जनप्रतिनिधि का हैँ किन्तु कोई भी जनप्रतिनिधि जनभागीदारी और जानभावना का किधर ख्याल रखती हैँ कि आम जनता उनसे किया किया उम्मीद लगाए बैठी हैँ अगर मौके को अवसर बनाया जाए तो काफी काम हो सकता हैँ किन्तु कोई भी सामाजिक कार्यकर्त्ता भी कुछ नहीं करते हैँ सब के सब चुप्पी लगा के बैठे हुए हैँ किन्तु अगर राजनीती से प्रेरित की बात को दरकिनार कर दिया जाए तो विकास की गाड़ी आगे बढ़ सकती हैँ किन्तु आज इस ग्राउंड को इन बुजुर्गो के हाथों सफाई होता देख काफी दुःख महसूस कर रहा हूँ कहाँ हैं वे लोग जो केवल बड़ी बड़ी केवल बातें करते हैँ किन्तु ग्राउंड फ्लोर पर आकर कोई काम को नहीं देखते हैँ किधर से विकास होगा और किधर जनता विश्वास करेगी जनभावना को जनभागीदारी बनाकर इस तरह से विकास हों कि जनता कहे कि काम हो रहा हैँ अन्यथा जनता ही मालिक हैँ और यह आज की फोटो बहुत कुछ एक नया सन्देश को दे रही हैँ कि जनता का रुझान किया संकेत दे रहा हैँ

Last updated: नवम्बर 18th, 2022 by Arun Kumar