जन्माष्टमी जयंती योग गृहस्थ 2 एवं साधु संत 3 को मनाएगे
आसनसोल -रोहिणी च यदा कृष्णे पक्षे अष्टमयं द्विजोतम जयंती नाम सा प्रोक्ता सर्वपापहरातिथी. मध्य रात्रि में अष्टमी तिथी एवं रोहीणी नक्षत्र का योग होता है, तब सर्व पाप को हरने वाली जयंती योग से युक्त जन्मअष्टमी होती है. दो सितम्बर को इसी योग में भगवान कृष्ण का जन्म होगा. यह सर्वमान्य और पापघ्न व्रत बाल.युवा.और वृद्ध सभी अवस्था वाले स्त्री-पुरूष के करने योग है.
इससे पापो की निवृति और सुख की वृद्धी होती है. उक्त जानकारी आचार्य गणेश प्रसाद मिश्र व पंडित ऋषि कान्त मिश्र ने संयुक्त रूप से देते हुए बताया कि रविवार दो सितम्बर को जन्माअष्टमी पर जयंती योग गृहस्थ 2 को व साधु संत 3 को मनाएगे. अष्टमी दिन में 5 बजकर 9 मिनट से तीन सितम्बर को दिन 3 बजकर 29मिनट तक है. रोहिणी नक्षत्र दो सितम्बर को शाम 6 बजकर 30 मिनट से तीन सितम्बर को शाम 5:34 मिनट तक है.
दो सितम्बर रात्रि में अष्टमी और रोहिणी नक्षत्र का योग बन रहा है. अत: गृहस्थो की जन्माअष्टमी दो सितम्बर को होगी. उदया अष्टमी तिथी एवं सर्वश्रेस्ठ रोहिणी नक्षत्र का योग एक साथ होने के कारण साधु सन्यासियो की जन्माअष्टमी 3 सितम्बर को होगी. इसमें अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के तिथि मात्र पारण से व्रत की पूर्ति होती है.
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