जन्म दिवस पर याद किये गए समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले और मरांग गोमके, जयपाल सिंह मुंडा
भारत की प्रथम महिला शिक्षिका सुधारक सावित्रीबाई फुले का जन्म दिवस
मधुपुर -स्थानीय बावन बीघा संवाद परिसर में गुरुवार को समाज सुधारक सावित्रीबाई फुले और मरांग गोमके, जयपाल सिंह मुंडा का जन्म दिवस सादगी पूर्ण तरीके से मनाया गया। महान विभूतियों की तस्वीरों पर सामाजिक कार्यकर्ताओं ने श्रद्धा सुमन अर्पित किया । मौके पर समाज कर्मी घनश्याम ने कहा सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थी। उनको महिलाओं और उपेक्षित वंचित एवं समाज से बहिष्कृत महिलाओं को शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योति राय जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक गुरु और समर्थक थे। जिन्होंने महाराष्ट्र में अंधविश्वास के खिलाफ आंदोलन चलाया।
सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह जिया। जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना ,छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना । वह स्कूल जाती थी तो विरोधी लोग पत्थर मारते थे ।उन पर गंदगी फेंक देते थे । आज से 160 साल पहले बालिकाओं के लिए जब स्कूल खोलना पाप का काम माना जाता था ।
मरांग गोमके, जयपाल सिंह मुंडा के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि मरांग गोमके ,जयपाल सिंह मुंडा भारत में आदिवासी राजनीति के संस्थापक पैरोकार झारखंड आंदोलन के सबसे बड़े नेता और भारतीय हॉकी के पहले कप्तान थे । जयपाल सिंह मुंडा का वास्तविक नाम ईश्वरदास जयपाल सिंह है । जिन्हें आदर से झारखंड के आदिवासी उन्हें मरंग गोमके सर्वोच्च नेता कहते हैं। झारखंड अलग राज्य की स्थापना का सपना उन्होंने देखा था ।4 राज्यों को मिलाकर ग्रेटर झारखंड का नक्शा साइमन कमीशन के समक्ष प्रस्तुत किया गया था । इस अवसर पर चित्रा साहू ,सीमा ,मीना ,रजाउल ,रफीक ,अनामोल ,आनंद, श्यामलाल ,श्री कृष्ण ,विजय, अबरार ,महानंद ,नरेश तोहीन,, विनोद, पवन ,सोमा, प्रमिला, जावेद समेत कई साथी उपस्थित थे।
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