Site icon Monday Morning News Network

सिंह मेंशन को मिटाने की राजनीति करने वाले सम्भल जाएं, वर्ना वह खुद मिट जाएँगे – मनीष सिंह

धनबाद-: डेढ़ दशक के बाद धनबाद का चर्चित घराना “सिंह मेंशन” के किसी युवराज ने कोयलाञ्चल में फिर एक बार दहाड़ा है। स्व.सूर्यदेव सिंह के छोटे पुत्र सिद्धार्थ गौतम उर्फ़ मनीष सिंह ने आज दहाड़ते हुए कहा कि “धर्मयुद्ध” का शंखनाद हो चुका है और इस धर्मयुद्ध में “कुंती पुत्र” कूद चुका है

वर्ष 2003 में स्व सूर्यदेव सिंह (विधायक) के बड़े पुत्र और मनीष सिंह के बड़े भैया राजीव रंजन सिंह ने भी कोयलाञ्चल में ऐतिहासिक “चेतावनी रैली” निकाला था। आज डेढ़ दशक के बाद मनीष सिंह की “जन चेतना रैली” ने इतिहास को दोहराते हुए कोयलंचलवासियों को चेतावनी रैली की याद ताजा करा दी। धनबाद के सभी मुख्य मार्गों पर मानो जन सैलाब उमड़ पड़ा था। सिंह मेंशन के समर्थन में जोरदार नारे लग रहे थे। रविवार होने के बावजूद यातायात व्यवस्था चरमरा गई थी। आलम यह था कि कोयला नगर के नेहरू कम्प्लेक्स मैदान में कार्यक्रम समाप्ति की ओर था तो भी मेंशन समर्थकों का हुजूम मैदान की ओर बढ़ ही रहा था। इधर सिंह मेंशन भी अपने ऊपर हो रहे राजनैतिक हमला का जवाब देने के लिए जन चेतना रैली के बहाने “शक्ति प्रदर्शन” कर रहा था। कोयला की राजधानी धनबाद से लेकर झारखण्ड की राजधानी रांची तक सक्रिय अपने विरोधियों को जन चेतना रैली के माध्यम से माकूल जवाब देने का प्रयास  मनीष सिंह ने किया।

सभा स्थल पर मंच से दहाड़ते हुए मनीष सिंह ने चेतावनी भरे लब्जों में कहा कि सिंह मेंशन को मिटाने की राजनीति करने वाले अब सम्भल जाएं, वर्ना वह खुद मिट जाएँगे।उन्होंने कहा कि सिंह मेंशन कदम आगे बढ़ाने के बाद पीछे की ओर नहीं खिंचता। आगामी लोकसभा चुनाव में सिंह मेंशन धनबाद से अपना प्रत्याशी  देने का निर्णय ले चुका है। अपने समर्थकों से मनीष सिंह ने चुनाव की तैयारी में जुट जाने की बात कहा।

पुलवामा में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए सभा में उपस्थित लोगों ने सबसे पहले 1 मिनट का मौन रखा। सभा को संबोधित करते हुए मनीष सिंह ने कहा कि उनके पिता विधायक सूर्यदेव सिंह पूरी जिंदगी कोयलाञ्चल वासियों की सेवा करते रहे। हम उसी कड़ी को आगे बढ़ाना चाहते है। उन्होंने कहा कि धनबाद को सही नेता की जरूरत है। तभी यहाँ का विकास संभव है। धनबाद को सही मायने में अबतक उसका सही हक नहीं मिल पाया इसके लिए कमजोर नेतृत्व ही जिम्मेवार है।

Last updated: फ़रवरी 24th, 2019 by Pappu Ahmad