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स्वास्थ्य साथी का बोर्ड लगाए अस्पताल ने नहीं दिया योजना का लाभ , कई अनियमितता पायी गयी

रानीगंज के पंजाबी मोड़ स्थित “रॉयल केयर ” अस्पताल में उस वक्त काफी हंगामा मच गया जब अस्पताल प्रबंधन ने एक मरीज को बिना बिल चुकाए छोड़ने से मना कर दिया ।

कल्याणेश्वरी का एक किडनी मरीज इस अस्पताल में इलाज कराने के लिए पहुँचे । उनके पास प० बंगाल सरकार द्वारा जारी “स्वास्थ्य साथी” कार्ड था जिसके तहत मरीज को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा दी जाती है।

मरीज के परिजनों के अनुसार पहले तो अस्पताल ने इस कार्ड के चिकित्सा करने से ही इंकार कर दिया बाद में किनारे में ले जा कर कहा कि कुछ पैसा स्वास्थ्य साथी से मिल जाएगा बाकी आपको चुकाना पड़ेगा लेकिन ये बात किसी से कहनी नहीं है , कोई पूछे तो कहना है कि पूरी चिकित्सा मिल रही है।

बीमारी से परेशान परिजनों के लिए उनकी बात मानने के अलावा कोई विकल्प न था और अस्पताल के मांग के अनुसार उसने अस्सी हजार का बिल चुकाया। तीन दिन बाद भी जब हालत नहीं सुधरी तो उसे दुर्गापुर के आईक्यू सिटी अस्पताल रेफर कर दिया गया लेकिन उसके साथ ही और 36 हजार रुपए की मांग करने लगे ।

इसी बात से परिजन भड़क गए और पूछने लगे कि स्वास्थ्य साथी से कितना पैसा मिला है बताइये । उन्होंने रानीगंज के पार्षद व आसनसोल नगर निगम के एमआईसी (स्वास्थ्य ) दिब्येंदु भगत को बुलाया । मामले को बढ़ता देख अस्पताल ने मरीज को बिना पैसे लिए ही छोड़ दिया ।

खुले में फेंका हुआ अस्पताल का कचरा

इसी बीच सूचना पाकर मंडे मॉर्निंग की टीम भी वहाँ पहुँच गयी तो चारों ओर बदइंतजामी का ही नजारा दिखा । अस्पताल का कचरा बगल में खुले में फेंका हुआ था जो गंभीर बीमारी को निमंत्रण दे रहा था । अस्पताल का कचरा खुले में फेंकने से मल्टी ड्रग रेजिस्टेंस बैंक्टीरिया का जन्म होता है ।

कोई भी कागजात नहीं दिखा पाये प्रबंधन

जब हमारी टीम ने प्रबंधन से अस्पताल के कागजात देखने चाहे तो वे एक भी कागजात नहीं दिखा पाये । यहाँ तक कि नगर निगम द्वारा जारी ट्रेड लाइसेन्स भी पुराना ही था । जबकि नियमों के अनुसार ट्रेड लाइसेन्स, अस्पताल मंजूरी का कागज सामने में ही सबके देखने के लिए रखा जाता है ।

बी ग्रेड और सी ग्रेड का हवाला देकर दी अपनी सफाई

मरीज को स्वास्थ्य साथी का लाभ क्यों नहीं मिला पूछने पर कहा कि उनका अस्पताल “सी” ग्रेड में दर्ज है जबकि इस बीमारी का इलाज “बी” ग्रेड अस्पताल में होता है । जब उनसे पूछा गया कि स्वास्थ्य साथी के वेबसाइट में उनके अस्पताल को “बी” ग्रेड दिखाया जा रहा है तो इस पर उन्होंने कहा कि बीते रात में ही यह हुआ है इसलिए अभी यह चिकित्सा नहीं दे पाएंगे ।

परिजन ने लगाए भ्रष्टाचार के आरोप

अब सवाल उठता है कि जब अस्पताल मरीज को स्वास्थ्य साथी के तहत ईलाज नहीं कर सकता था तो फिर उसने क्यों भर्ती किया था । उसी वक्त मना कर देने से मरीज दूसरे अस्पताल में जाता जहाँ उसे यह सुविधा मिलती ।

पूरे मामले में भ्रष्टाचार की भी भनक मिलती है जैसा कि परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के एक कर्मचारी ने उसे किनारे में ले जाकर कहा कि स्वास्थ्य साथी से कुछ पैसा मिल जाएगा बाकी आपको देना पड़ेगा ।

मौके पर आसनसोल नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग प्रभारी दिब्येंदु भगत भी उपस्थित थे

यह एक गंभीर मामला है । मौके पर आसनसोल नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग प्रभारी दिब्येंदु भगत भी उपस्थित थे । उन्होंने पूरे मामले की जाँच करने का आश्वासन दिया है।

दूसरा गंभीर विषय है कि अस्पताल की मान्यता से जुड़ा से एक भी दस्तावेज़ या उसका फोटो कॉपी प्रबंधन के पास दिखाने के लिए नहीं था । वे रविवार का हवाला देते रहे और दो दिन बाद हमारी टीम को बुलाया । मंडे मॉर्निंग की टीम दो बाद भी अस्पताल जरूर जाएगी और कागजात जरूर देखेगी साथ ही जानने की कोशिश करेगी कि एक मरीज के पास स्वास्थ्य साथी का कार्ड होने के बाद भी उसे सुविधा क्यों नहीं दी गयी।

ममता बनर्जी की कोशिशों पर पानी फेर रही है इस तरह की घटनाएँ

एक तरफ मुख्य मंत्री ममता बनर्जी जनता को रिझाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है। “दीदी को बोलो” अभियान चलाया जा रहा है। नेता विधायकों को आम लोगों के घर में रात बिताने की हिदायत दी जा रही है तो दूसरी ओर इस तरह के मामले पूरी योजना पर पानी फेर रही है।

इस तरह के सरकारी सुविधा न मिलने पर लोगों के मन में सरकार और उसकी योजनाओं के प्रति भ्रम की स्थिति उत्पन्न होगी जो निश्चित हितकारी नहीं होगी

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Last updated: अगस्त 18th, 2019 by News-Desk Raniganj