सालानपुर ब्लॉक अंतर्गत मालबोहाल गाँव स्थित एमआरबीसी क्लब से निकलकर देश का नाम रौशन करने वाली दर्जनों महिला फ़ुटबॉलर आज इस कोरोना संकट की घड़ी में भूखमरी की कगार पर है। इस गाँव की दहलीज पर कदम रखते ही चिराग तले अंधेरा वाली कहावत बिल्कुल ठीक बैठती है, कोरोना की आतंक से गाँव के ही झोपड़ियों में ही कैद देश की होनहार बेटियाँ आज महज एक मास्क के लिए तरस रही है, भूख से बदहाल इन बेटियों को अब भी किसी की सरपरस्ती का इंतज़ार है।
राज्यस्तरीय टीम में जोहर दिखा चुकी रुपाली बाउरी, मोनालिशा हेम्ब्रम, बसंती लकड़ा, पिंकी कर्मकार, समेत अन्य रविवार को सड़क पर ही मुँह में मास्क के जगह निम का पत्ता बांधकर फुटबॉल प्रेक्टिस करती दिखी। पूछने पर कहा खाने के लाले पड़ चुकी है तो मास्क कहा से खरीदूँ, नेशनल टीम में सेलेक्ट हो चुकी अदरिजा सरखेल(अंडर-17) का भी आज यही हाल है।
टीम के कोच संजीव कुमार बताते है कि रुपाली बाउरी और अरुणा बाग को भी अंदर 17 के लिए बुलाया गया था, किन्तु लॉकडाउन के कारण कोलकाता नहीं जा सकी, उन्होंने बताया कि आज खेल तो दूर खिलाड़ियों को खाना उपलब्ध कराना मुश्किल हो चुका है। कुछ समाजसेवियों से मांग मांग कर भोजन का व्यवस्था किया जा रहा है।
इधर महिला फ़ुटबॉलर की भूखमरी की बात सुनते ही सामाजिक कार्यकर्ता भोला सिंह ने सभी 21 महिला खिलाड़ियों को चावल और आलू उपलब्ध कराया। और आगे भी सहायता करने का आश्वासन दिया।
महिला खिलाड़ियों के कोच संजीव ने कहा देश में भले ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जाता हो किन्तु सचाई कोसों दूर है। देश के लिए खेल चुकी इन बेटियों की झोपड़ियाँ भले ही आज मैडल से भरे हो किंतु खाने को अनाज का एक कतरा नहीं है। देश के लिए खेलने वाली इन महिला फ़ुटबॉलर को आखिर कब सम्मान मिलेगी, हालांकि उस सम्मान की ऊँचाई तक पहुँचने के लिए भूख की दीवार लांघकर आज भी यह बेटियाँ देश के लिए मैडल लाने की ख्वाहिश रखती है।