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मंहगाई एक बम की तरह : अरुण कुमार 

आज की तारीख में मंहगाई शब्द सुनते ही दिल और दिमाग़ में एक अजीब सी बेचैनी घर कर जाती हैं कि अगर यह मंहगाई जीस प्रकार से बढ़ती जा रही हैं की किया खास और किया आम लोग काफी परेशान और दुःखी दिखाई दे रहे हैं , आम आदमी की जिंदगी इस मंहगाई को अपने ऊपर एक बम फटने जैसा महसूस कर रहे हैं वैसे एक बात यहाँ समझ नहीं आ रही हैं कि कैसे एक मध्यम वर्ग अब इस मंहगाई बम को झेले, क्यों ना सरकार इस ओर ध्यान देती हैं सरकार को अब इस मामले में दखल देने की जरूर त हैं क्योंकि अगर एक मिडिल क्लास वर्ग नहीं होगा तो मौसम की तरह सामाजिक उथल पुथल होना लाजिमी हैँ आज एक गरीब वर्ग और भी गरीब होता जा रहा हैँ, कहने को तो उन्हें दो वक्त की रोटी मिल रही होती हैँ किन्तु कभी सरकार को अवश्य एक बार इनको नजदीक से आकर देखने की जरूरत हैँ वैसे सबसे बड़ी विडंबना यह भी हैँ कि और सरकार क़ी यह कोशिश अवश्य होती हैँ कि यह मंहगाई का बम आम जनता पर ज्यादा ना पड़े, ना रोजी ना रोजगार फिर किया करे सरकार वाली कहावत यहाँ सही बैठती हैँ आम आदमी की थाली से भी आज दाल और सब्जी गायब हो गई हैँ यही सच और सच्चाई हैँ किया हमसब ऐसी ही भारत की कल्पना करके बैठे हैँ कि अमीर वर्ग और अमीर होता जाए और एक गरीब वर्ग और भी गरीब होता जाए ये असमानता आनेवाले समय और समाज के लिए सही नहीं होगा और ना ही भारत जैसे बड़े लोकतंत्र देश के लिए मेरे हिसाब से गवर्नमेंट को इस विषय पर अवश्य ध्यान देने की जरूर त हैँ क्योंकि अगर देश में असमानता का माहौल की एक खाई आ जाती हैँ तो अवश्य ही वो समय काफी दुविधा भरी होगी और ऊपर से ये मंहगाई का दंश क्यों ना सरकार इस मुद्दे पर विचार विमर्श करके एक आम व खास वर्ग जो कि इस मंहगाई से त्रस्त व ग्रसित हो रहे हैँ उससे बचाने को कोई रास्ता नहीं निकाल रही हैँ जिससे की आम आदमी इस मंहगाई से अपने पूरे परिवार को बचा सके अब तो सरकार ही इस मंहगाई बम से सबको बचाने का कार्य करे: अरुण कुमार
Last updated: मार्च 11th, 2022 by Arun Kumar