कत्ले हुसैन असल में मरगे यजिद है। इस्लाम जिंदा होता है हर कर्बला के बाद। शनिवार से दोपहरिया मातम के साथ मुहर्रम का त्योहार जोश व खरोश के साथ शुरु हो गया। मुहर्रम की सातवीं तारीख को दोपहरिया मातम के रूप में मनाया जाता है। मुहर्रम का त्योहार हजरत इमाम हुसैन की शहादत की याद में मनाई जाती है।
कमलवार, केसठ, केवला, जगदीशपुर आदि जगहों के इमामबाड़ा पर निशान खड़े किए गए। इमामबाडा पर नौजवान महिला बच्चे बूढ़े सभी जुटे। फातिया खानी हुई। जिन लोगों का फरारा (निशान) था खड़ा किए। आज के दिन फातिया के बाद जो मन्नते मांगी जाती है वह पूरी होती है। इमाम हुसैन के सदके में देश के अमनो अमान तरक्की खुशहाली एकता व अखंडता के लिए सामूहिक दुआएं मांगी। फातिया खानी बाद पूरा इलाका या अली या हुसैन ने नारो से गूंज उठा।
Last updated: अगस्त 6th, 2022 by