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ग्रामीणों के आंदोलन से बंद हुआ इंपेक्स पावर प्लांट ,पुलिस के सहयोग से ग्रामीणों और प्रबंधन की बैठक विफल

कल्याणेश्वरी। कल्याणेश्वरी औद्योगिक क्षेत्र कोदोभीटा स्थित इम्पेक्स फैरो एंड पॉवर लिमिटेडफैक्ट्री के शोरगुल,वायु और ध्वनि प्रदूषणसे त्रस्त पूरणडीह गाँव के आदिवासी पिछले दो दिनों से प्रदूषण से छुटकारे के लिए एक जुट हो कर आन्दोलन कर रहे है। गुरुवार के दिन ग्रामीणों ने पावर प्लांट बंद कराने के लिये काराखने की पानी की मुख्य लाइन काट दिया था, शुक्रवार को पुलिस प्रशासन के सहयोग से इम्पेक्स कंपनी के अधिकारियों ने ग्रामीणों के साथ बैठक की, लेकिन बेठक बेनतीजा रही। पुरनडीह गाँव में हुई बैठक जिसमें इंपेक्स कंपनी के अधिकारी सतीश सिंह ने कम्पनी के प्रदूषण को नियंत्रण करने के लिये ग्रामीणों से कुछ दिनों का समय मांगा, बैठक में पुलिस प्रशासन की ओर से एसीपी(कुल्टी) उमर अल्ली मोल्लाह, कुल्टी थाना प्रभारी, चौरांगी एवं बराकर फांड़ी के प्रभारी उपस्थित रहे । ग्रामीणों ने कहा कि पिछले दस साल हो गए लेकिन प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिये कम्पनी के द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। मजबूरन हमलोगों को अंदोलन को मजबूर होना पड़ा। हमारी मांग है कि कम्पनी अपने पावर प्लांट को स्थायी रूप से बंद कर दे और स्टील प्लांट को पहले की तरह जारी रखे।

इस संदर्भ में एसीपी (कुल्टी) उमर अल्ली मोल्लाह ने कहा कि हम ग्रमीणों एवं कम्पनी के साथ बैठक कर इस समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन आज की बैठक में कोई समाधान नहीं निकला, हम जल्द से जल्द समस्या का समाधान करने की कोशिश कर रहे हैं।

प्रदूषण का मामला में प्रदूषण विभाग मौन

क्षेत्र में हो रही निरंतर प्रदूषण को लेकर जिला प्रदूषण नियंत्रण विभाग मौन है, ग्रामीणों का कहना है कि वास्तविक स्थिति का निरीक्षण स्वयं प्रदूषण विभाग को करना चाहिए, एक और जहाँ कल्याणेश्वरी मंदिर, मैथन पर्यटन स्थल और पास ही वन विभाग है, ऐसे में यहाँ की सौन्दर्यता को बर्बाद करने का अधिकार इन प्लांटो को कैसे मिल जाती है, सीएसआर को लेकर बड़ी बड़ी दावे करने वाली यहाँ के इन फैक्ट्रियों द्वारा वास्तविक में एक रुपए भी खर्च नहीं किया जाता है, क्षेत्र के अधिकांश लोग चर्म रोग, टीवी, दामा, और नेत्र रोग से ग्रसित है। प्रदूषण का पैमाना इतना बढ़ चुका है, की सड़क पर मोटरसाइकिल चलाने वालों को धूल कण आँख में चली जाती है और लोग दुर्घटनाग्रस्त हो जाते है। पूरे प्रकरण में सरकार का अमला दस्ता और सरकारी तंत्र भी उद्योगपतियों को आगे नतमस्तक है।

Last updated: मई 28th, 2021 by Guljar Khan