मज़दूरों की सुरक्षा को लेकर बार-बार उठ रहा है सवाल?
प्रदर्शन कर रहे श्रमिक को कारखाना प्रबंधन द्वारा धमका कर मामले की दबाने की कोशिश
भाजपा-तृणमूल कारखाना प्रांगण में आमने- सामने जमकर नोकझोंक
भाजपा कर्मियों के साथ पुलिस की धक्का मुक्की
प्रबंधन पर लगा शव को छुपाने का आरोप
सालानपुर।सालानपुर प्रखंड के देंदुआ स्थित “मैथन स्टील एंड पावर लिमिटेड” कारखाना में गुरुवार सुबह एक दुर्घटना में एक श्रमिक की मौत एवं करीब 5 श्रमिक घायल हो गये। घटना के बाद मज़दूरों की सुरक्षा की अभाव और औद्योगिक कारखानों के कुप्रबंधन की एक दुखद तस्वीर पेश करता है। घायल दो श्रमिक की हालत गंभीर बनी हुई है। मृतक श्रमिक संजय कुमार बिहार के गया जी जिले के निवासी है।
घटना की सूचना पाकर मौके पर पहुँचे परिजनों का रो रोकर बुरा हाल है। मृतक संजय की मृत्यु के बाद पूरा परिवार ही दुखो से घिर गया है। मृत्तक की पत्नी संजू देवी का रोकर बुरा हाल है, संजय की दो छोटी बेटी एवं एक डेढ़ साल का बेटा है । जिसे पिता की मौत तक समझ मे नही आ रही है।
वही माता जागेश्वरी देवी ने कहा कि हमारा सब उजाड़ गया है। हम क्या करे? कहा जाये? कुछ समझ नही आ रहा है।
श्रमिकों के अनुसार बारिश के दौरान कारखाना के दो नम्बर यूनिट स्थित भट्टी(फर्निश) के ऊपर का शेड अचानक भरभरा कर गिर गया। सैड गिरते ही वहाँ काम कर रहे मज़दूर अपनी जान बचाकर भागने लगे। वही घटना में दुर्भाग्यवस बिहार निवासी संजय कुमार गिर रहे सैड की चपेट में आगया। जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद घायल मज़दूरों को इलाज के लिए आसनसोल के एक निजी अस्पताल ले जाया गया। वही हादसे की खबर फैलते ही कारखना के अन्य मज़दूरों ने शवों को फैक्ट्री के अंदर ही छोड़कर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया। उन्होंने इस घटना के लिए फ़ैक्टरी अधिकारियों की लापरवाही को ज़िम्मेदार ठहराया।
घटना की सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुँची और स्थिति को नियंत्रण में करने की कोशिश की। हालाँकि, कारखाना अधिकारियों ने अभी तक दुर्घटना के कारणों पर कोई आधिकारिक टिप्पणी नहीं की है। यह घटना औद्योगिक क्षेत्र में श्रमिकों की सुरक्षा की कमी का एक ज्वलंत उदाहरण है। श्रमिकों के अनुसार, कारखना के बुनियादी ढाँचे की कमज़ोरी और सुरक्षा मानकों के प्रति उदासीनता दुर्घटना का मुख्य कारण है। इस फ़ैक्टरी में काम करने वाले दूसरे राज्यों से आने वाले श्रमिकों को अक्सर जोखिम भरे वातावरण में काम करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि श्रमिकों के जीवन की कोई मूल्य नहीं है और उनकी सुरक्षा पर उचित ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
वही घटना के बाद पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है।
श्रमिकों का आरोप है कि नियमित रखरखाव और सुरक्षा निगरानी का अभाव इस दुर्घटना के लिए ज़िम्मेदार है। देन्दुआ एमसपीएल की दुर्घटना कोई पहली घटना नहीं है, बल्कि औद्योगिक क्षेत्रों में श्रमिकों की असुरक्षा और उपेक्षा की एक बड़ी तस्वीर भी उजागर करती है। संजय कुमार की मौत और अन्य श्रमिकों का घायल होना हमें याद दिलाता है कि उद्योग की प्रगति के साथ-साथ श्रमिकों का जीवन और सुरक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। इस घटना के बाद, श्रमिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कारखाना अधिकारियों और संबंधित प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की गई है।
श्रमिक की मौत के बाद परिवार को उचित मुवाजा देने की मांग को लेकर भाजपा और तृणमूल श्रमिक संगठनों के कार्यकर्ता और नेता घटनास्थल पर पहुंचे। इस दौरान मौजूद पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और कारखना से बाहर निकाला।
भाजपा नेताओं ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस और कारखाना अधिकारी संयुक्त रूप से इस घटना को दबाने की कोशिश कर है। पुलिस इस घटना को तृणमूल को समर्थन कर हमें बाहर कर रही है। हमारी मांग है श्रमिक को न्याय मीले।
वही तृणमूल श्रमिक संगठन नेता मनोज तिवारी ने कहा कि घटना में बिहार निवासी एक श्रमिक की मृत्यु हो गई। मुआवजे पर परिवार के सदस्यों के साथ चर्चा की जाएगी। मृतक के परिजनों का इन्तेजार किया जा रहा है। मैं चाहता हूं कि परिजनों को उचित मुआवजा मिले।
कारखाना प्रबंधन की और से कौशिक चक्रवर्ती ने घटना को लेकर कहा कि घटना घटी है, एक श्रमिक की मौत हो गई है एवं कुछ घायल है। घटना की जांच होगी। तत्काल घायल श्रमिकों की इलाज एवं मृतक के परिजन को उचित मुआवजे पर बात चल रही हैं।
वही घटना के बाद प्रदर्शन कर रहे है श्रमिकों को प्रबंधन धमकी देता रहा है और बाकायदा कारखाना के जीएम(प्रशासनिक) विजय साव ने कैमरे के सामने प्रदर्शन कर रहे साथी श्रमिक को धमकाया एवं आज तुम खत्म, तेरा हिसाब हो गया कहते हुये गर्दन दबा कर थप्पड़ मारा और धक्का दिया।