प्रदूषण की वजह से ऐतिहासिक सिंगार नदी का पानी भी अब लाल हो रही है। इसकी रोकथाम नहीं कि गई तो यह पानी पूरी तरह प्रदूषित होकर जहरीला हो जाएगी। आरोप है कि फैक्ट्री में स्पोंज आयरन बनाने के लिए सीधे तौर पर आयरन और फैक्ट्रियों से लाई जाती है जिसका पुरीफिकेशन भी फैक्ट्री के अंदर ही होती है इससे निकलने वाली वेस्ट प्रोडक्ट नालियों से बाहर सीधे निकालकर सिंघाड़ा नदी में डाल दी जाती है। तपसी पंचायत इलाके के दास पाड़ा, भिखारी पाड़ा, खयरा पाड़ा तपसी स्टेशन पाड़ा, जानबाजार क्षेत्रों के लोगों का जीवन जल प्रदूषण के कारण नर्क बना हुया है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रदूषण के चलते सिंगारन नदी का पानी इस्तेमाल के लायक नहीं रहा लाल हो गया है। दरअसल, इन पाँच इलाकों में रहने वाले ज्यादातर लोग गरीबी रेखा के नीचे रहते हैं। इनके पास अपने अपने घरों में पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने का नहीं है। इनको पानी के लिए इस प्रदुषित सिंगारन नदी के भरोसे ही रहना पड़ता है।
इलाके में रहने वाली एक महिला दुःखनी कुर्मी ने कहा कि इस नदी के पानी का इस्तेमाल करने से उनके दोनों बेटे बीमार पड़ गये हैं। मगर उनके पास रोजमर्रा के कामो के लिए इस नदी के पानी का इस्तेमाल करने के अलावा कोई चारा नहीं है।
सूत्रों के मुताबिक शोर शराबा और आरोप-प्रत्यारोप के पश्चात इस इलाके के तमाम फैक्ट्रियों में वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए मशीनें लगाई गई लेकिन फैक्ट्री से निकलने वाले गंदे प्राणियों के पुरीफिकेशन के लिए कोई भी उपाय नहीं कि गई यही वजह है कि आज सिंह हरण नदी की पानी प्रदूषित होकर लाल हो गई है।