हिंदुस्तान केबल्स की यादें संजो रही है, माटीर टाने परिवार
सालानपुर के जमीं पर यादों की धरोहर की रूप में विराजमान रूपनारायणपुर स्थित देश की प्राचीन हिन्तुस्तान केबुल्स कारखाना की वीरान गलियाँ यूं तो आज मुफलिसी झेलने को विवश है, किन्तु इन मुफलिसियों के बीच भी कुछ ऐसे लोग है जिन्होंने यहाँ की यादों को धरोहर के रूप में संजोए रखने की बीड़ा उठा ली है, अलबत्ता केबल्स में कार्यरत कर्मियों द्वारा विगत 2 वर्ष पूर्व सोशल मीडिया(फेसबुक) पर माटीर टाने नामक ग्रुप आज मिल की पत्थर साबित हो रही है,
‘‘अकेले ही चले थे जानिबे मंजिल में चलता गया और कारवां बनता ही गया’’ बस इसी कहावत को चरितार्थ करते हुए, आज एक फेसबुक ग्रुप ने यहाँ की वादियों में फिर एक उम्मीद की दीपक जला दी है । माटीर टाने ग्रुप में एक से दस और आज इसकी संख्या आज डेढ़ हजार तक पहुँच गयी है, देश स्वतन्त्र होने के कुछ वर्ष बाद निर्मित हिंदुस्तान केबल्स रूपनारायणपुर भले ही आज बंद हो चुकी हो किन्तु यहाँ कार्यरत कर्मी और उनकी पीढ़िया आज देश के विभिन्न राज्यों से रूपनारायणपुर हिंदुस्तान केबल्स ओल्ड कॉलोनी चिल्ड्रेन पार्क में हिंदुस्तान केबल्स परिवार(माटीर टाने) उत्श्व का आयोजन में भाग लेतें है ।
रविवार को आगामी 30 दिसंबर को आयोजित होने वाली कार्यक्रम को लेकर समूह के सदस्यों द्वारा एक बैठक की आयोजन की गयी जहाँ देवाशीष सरकार ने बताया की जन्म स्थल या मिट्टी के प्रति हर किसी को खिचाव रहती है, इसी सन्दर्भ में प्रतिवर्ष एक वृहद् कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है । उन्होंने कहा कि यहाँ कार्यरत पुराने कर्मी एवं उनके जन्म लिए संतान इस उत्श्व में पहुँचकर अपनी यादों को ताज़ा करते है ।
यह याद केबल्स कर्मियों के लिए आज धरोहर बन चुकी है । इस संगठन द्वारा सामाजिक हित क्र लिए भी अब कार्य किया जा रहा है । गौतम विस्वास, उदयशंकर गांगुली प्रदीप देब, पिजुस कांति गांगुली, पिजुस दत्तो, विजन विस्वास, प्रदीप बाकसी, सुबीर मित्रा, प्रद्द्युत मजुमदार, अरिंदम चटर्जी, अमिताभ आचार्जी समेत दर्जनों लोग उपस्थित थे ।
अपने आस-पास की ताजा खबर हमें देने के लिए यहाँ क्लिक करें
Copyright protected
झारखण्ड न्यूज़ की महत्वपूर्ण खबरें
Quick View