गैंगस्टर की माँ-मौसी के हत्यारे को उम्रकैद की सजा
धनबाद। लोकप्रिय बॉलीवुड फिल्म गैंग्स ऑफ वासेपुर जिस मुख्य किरदार पर फिल्मायी गई थी उस फहीम खान की मां और उसकी मौसी की हत्यारे शाहिद आलम को धनबाद के जिला एवं सत्र न्यायाधीश सत्यप्रकाश की अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई।17 वर्ष पूर्व, 18 अक्टूबर 2001 को दोपहर के 2.15 बजे फहीम की मां नजमा खातून एवं मौसी शहनाज खातून पुराना बाजार से सब्जी लेकर पैदल अपने घर जा रही थी। डायमंड क्रासिंह के पास पहुँचते ही साबिर आलम, बाबू, शाहिद आलम,असगर अगरबत्तीवाला,पप्पू अगरबत्तीवाला,लाडले,मिनहाज ने दोनों महिलाओं को घेर लिया तथा गोली मारकर दोनों की हत्या कर दी। फहीम का भाई शेरखान और बहनोई इमदाद पास की एक गुमटी थे। गोली चलने की आवाज सुनकर दोनों दौड़ कर आए तो देखा उसकी मां और मौसी खून से लथपथ पड़ी है। गोली चलाने के बाद आरोपी एक मारुति भान तथा दो आरोपी पल्सर मोटरसाइकिल से फरार हो गए थे। शेरखान की शिकायत पर साबिर आलम उसके भाई शाहिद आलम, बाबू, जाहिद आलम,भांजा लाडले,मिनहाज एवं असगर अगरबत्ती वाला, पप्पू अगरबत्ती वाला एवं अफाक के विरुद्ध हत्या कि प्राथमिकी बैंक मोड़ थाना में दर्ज की गई थी। पुलिस ने 5 जनवरी 2002 को इस मामले में आरोप पत्र दायर किया था। 20 मार्च 07 को आरोप तय होने के बाद सुनवाई शुरू हुई थी।इस दोहरे हत्याकांड के मुख्य किरदार साबिर आलम को जिला एवं सत्र न्यायाधीश रामाशंकर शुक्ला की अदालत ने 4 जून 2007 को उम्र कैद की सजा दी थी। फिलवक्त साबिर फरार है।
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