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गुलाब’ ने साफ-सफाई पर प्रतिमाह ढाई करोड़ रुपये खर्च करने वाले निगम की खोली पोल

धनबाद। हल्की फुल्की बरसात भले ही नगर निगम झेल जाए, लेकिन बारिश कुछ घंटे अगर रुक गई तो निगम की पोल खुलनी तय है। ऐसा ही पिछले 24 घंटे में देखने को मिला है।सिर्फ नगर निगम ही नहीं पथ प्रमंडल की कारगुजारी भी सामने आई है। दोनों ने मिलकर शहर को पानी पानी कर दिया। एक ने साफ सफाई के नाम पर तो दूसरे ने सड़क और नाली निर्माण के नाम पर पूरे शहर को जलमग्न कर दिया। नगर निगम साफ-सफाई व अन्य मद में प्रतिमाह ढाई करोड़ रुपये खर्च करता है। इसी तरह पथ प्रमंडल भी शहर में पिछले चार वर्षों में 300 करोड़ रुपये से अधिक खर्च कर सड़कों का जाल बिछा चुका है, लेकिन सड़क के साथ नाली ऐसी बनाई है जिसमें पानी ड्रेन हो ही नहीं रहा है।

बारिश के पानी में डूबी हंस विहार कालोनी, नालियों को अतिक्रमण मुक्त कराने में निगम फेल

धनबाद शहर में जो नाली और नालियाँ बनी हैं वो अतिक्रमण की शिकार हैं। नगर निगम अतिक्रमण हटवा नहीं सका। इसकी वजह से नगर निगम क्षेत्र या यूं कहें सिर्फ शहरी इलाके में छोटे-बड़े 56 नाले जाम हैं। इसकी वजह से आज पूरा शहर जलमग्न हो गया। नगर निगम की तैयारी धरी की धरी रह गई। नगर निगम कहता है पथ प्रमंडल ने सड़कें सही नहीं बनाई है तो पथ प्रमंडल कहता है नगर निगम साफ-सफाई करने में कोताही बरत रहा है। दोनों विभाग एक दूसरे पर फेंका-फेंकी कर रहे हैं। इसमें खामियाजा सीधे आम जनता उठा रही है। पिछले 24 घंटे से तूफानी चक्रवात और बरसात के कारण शहर का कोई ऐसा इलाका नहीं बचा है जो जलभराव की समस्या से जूझ न रहा हो। निचले इलाकों की हालत तो और ज्यादा खराब है। निगम और पथ प्रमंडल की लापरवाही का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि शहर के प्रमुख इलाके मसलन लुबी सर्कुलर रोड, ग्रेवाल कॉलोनी, धैया रानीबांध, सिटी सेंटर जज आवास के सामने, डीआरएम चौक, पूजा टॉकीज चौक, बरटांड़ सड़क रातभर पूरी तरह से डूबे रहे। धनबाद क्लब के सामने जलजमाव को सुबह नगर निगम ने भले ही मशीन लगाकर हटवा दिया, लेकिन बाकी इलाकों में स्थिति जस की तस बनी रही।

धनबाद सिटी सेंटर-बरवाअड्डा रोड पर जलजमाव का रहा नजारा

55 वार्ड में 400 से अधिक छोटी-बड़ी नालियां, शहर में 56

बुधवार के बाद गुरुवार को भी हुई बारिश ने धनबाद के अधिकांश इलाकों को जलमग्न कर दिया। साफ किया कि अगर करोड़ों रुपये खर्च होते तो गली-मोहल्ले से लेकर सड़कों पर गंगा-जमुना न बह रही होती। गाड़ियाँ डूब रही हैं तो कहीं घर से निकलकर बाहर गली में कदम नहीं रख पा रहे हैं। बडे़ नाले तो जाने दीजिए छोटी नालियाँ भी उफन रही हैं। होल्डिंग टैक्स, वाटर टैक्स, ट्रेड लाइसेंस, यूजर चार्ज टैक्स नगर निगम लेता है। होल्डिंग और वाटर टैक्स से ही निगम को 18 करोड़ रुपये सालाना इनकम है। शहर के जलमग्न होने के दो बड़े कारण हैं, एक खराब सड़कें और दूसरा छोटी-बड़ी नालियों का चौक होना। निगम के 55 वार्ड में 400 से अधिक छोटी-बड़ी नालियाँ हैं, जो पूरी तरह से जाम हैं। शहर में छोटे-बड़े 56 नाले हैं। अधिकतर नालों को अतिक्रमण कर लिया गया।

धनबाद गया पुल में जलजमाव से बढ़ी परेशानी, सड़क के बगल बनी नाली में नहीं जाता पानी

शहर के अंदर बड़ी सड़कों का जाल बिछा दिया है। सिटी सेंटर से लेकर मेमको मोड़ तक और गोल्ड बिल्डिंग से लेकर पुटकी तक। इसी तरह बैंक मोड़ से लेकर झरिया तक भले ही सड़क चौड़ी कर दी गई है, लेकिन इसके साथ नालियाँ सुव्यवस्थित बनाने का ध्यान न तो पथ प्रमंडल को रहा और न ही जिला प्रशासन ने कभी इसकी मॉनिटरिंग की। लगभग डेढ़ फीट चौड़ी इन नालियों में पानी जा ही नहीं रहा है। सड़क और नाली का ढलान सुव्यवस्थित नहीं है। इसकी वजह से जगह-जगह सड़क पर ही जलभराव हो जा रहा है। सड़क से नालियों की कनेक्टिविटी नहीं कि गई। सिर्फ खानापूर्ति के नाम पर सड़क के साथ नाली बना दी गई। सड़क के दोनों और बनी नालियाँ पूरी तरह से जाम हैं। नगर निगम इनकी सफाई नहीं कराता है बल्कि पहले से बनी नालियों की ही साफ सफाई हो रही है। जबाहरलाल नेहरू नेशनल अर्बन रिनुअल मिशन (जेएनएनयूआरएम) के तहत 2012 में नालों का पानी एक जगह एकत्रित करने के लिए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाने की योजना बनी थी। 150 करोड़ की यह योजना कागजों तक ही सिमट कर रह गई।

Last updated: अक्टूबर 1st, 2021 by Arun Kumar