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अलविदा मुकेश:- आज हमारी तो कल आपकी बारी है

आसनसोल (गुलज़ार खान) अखबार का पन्ना खोलते ही कही कंबल वितरण, रक्तदान और कितने ही परोपकारी खबर आंखों के सामने कौंधने लगती है, मानो सतयुग और त्रेतायुग आज के युग से प्रेरणा ले रही हो। क्या सबकुछ ऐसा ही है? बिलकुल नही।
आज सुबह छत्तीसगढ़(बस्तर) के उस खूबसूरत दुल्हन से मेरी बात हुई, जिनकी एक आँख अपराधियों ने फोड़ दी।

बस्तर की अथाह जंगल से नक्सल और आम जनजीवन की खबर को दुनिया तक पहुँचाने वाले दो पत्रकार की हम बात कर रहें है।

जिसमें मुकेश चंद्रकार(बस्तर जंक्शन) अब हमारे बीच नही रहें। सत्ता से उपजी ठेकेदारी ताकत ने उन्हें मारकर सैप्टिक टैंक में चुनवा दिया।

उनके साथी कहें या बड़े भाई रानू दा (बस्तर टॉकीज) से आज मेरी बात हुई, उन्होंने इस घटना को निजी हानि बताया और करीबी को खोने का दर्द उनके स्वर को बार बार खंडित कर रहा था।

उन्होंने कहा कि बस्तर की जंगलों में खबर के लिए हम दोनों कई कई दिनों तक साथ रहते थे, मुकेश का घर मेरे लिए चंद्रकार धर्मशाला से कम नही था।

कई बार मैं मुकेश को न्यूज़ की गलतियों के लिए डांट फटकार लगा देता था, किन्तु वो सहज ही मुस्कुराते हुए टाल देता था। एक सड़क घोटाले की खबर को उजागर करने के लिए उनकी जान ले ली गयी।

मुकेश प्यार से मुझे रानू दादा कहते थे, ये शब्द अब मुझे कभी सुनाई नही देगी।
इधर घटना के बाद बस्तर और बीजापुर के पत्रकारों ने एकजुटता का परिचय देते हए सत्ता की नींव तक हिला डाली है, स्वर्गीय पत्रकार मुकेश को इंसाफ दिलाने की लड़ाई में जगह जगह विरोध और श्रधांजलि सभाएं की जा रही है।

छत्तीसगढ़ बस्तर से निकली लगभग हर खबर नेशनल न्यूज़ बन जाती है। चुकी हम पत्रकारों के लिए यह शर्म की बात है, मुकेश की हत्या की खबर आज भी देश के लिए नेशनल न्यूज़ नही है।

क्या यह आक्रोश छत्तीसगढ़ की सीमा पार कर अन्य राज्य की दहलीज पर दस्तक दे पाएगी। अन्यथा सत्ता की हाथीनुमा पाँव के नीचे आज हमारी तो कल आपकी बारी है।

Last updated: जनवरी 9th, 2025 by Guljar Khan