हिन्द मजदूर सभा के महामंत्री हरभजन सिंह ने केंद्र सरकार के खिलाफ हमलावर तेवर अपनाते हुये सरकार को श्रमिक विरोधी , जनविरोधी एवं देश विरोधी बताया है । उन्होने देश के सभी श्रमिक संगठनों को एकजुट होने का आह्वान करते हुये कहा है कि अब अनवरत आंदोलन करने का समय आ गया है । उन्होने केंद्र सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाते हुये कई मुद्दे गिनाए हैं ।
उन्होने कहा है कि यह सरकार लगातार मजदूरों के अधिकारों पर हमले कर रही है । कोविड – 19 की इस महामारी को सरकार ने मजदूरों के अधिकार हनन को और भी तेज कर कर दिया है । लाभ में चल रहे सार्वजनिक उपक्रमों को बड़े पैमाने पर निजी उद्योगपतियों को बेचा जा रहा है ।
सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता भी रोक दिया है । पेंशनधारियों का मंहगाई भत्ता भी एक जनवरी से 30 जून तक के लिए रोक दिया गया। लगभग यही रवैया उन राज्यों में भी अपनाया गया है जहां इनकी पार्टी या फिर इनके जैसे पार्टियों की सरकार है ।
सरकार ने 50 से 55 वर्ष के केंद्रीय कर्मचारियों को समय से पूर्व रिटायर करने का निर्णय लिया है । अपने निर्णय को सही ठहराने के लिए सरकार ने फंडामेंटल रूल (एफ़आर) 56 1 (i) और 1972 सीसीएस (पेंशन ) के रूल 48 का हवाला दिया है । सरकार ने बीपीसीएल को बेचने का मन बना लिया है । बीएसएनएल के 80 प्रतिशत कर्मचारियों को स्वैच्छिक अवकाश लेने के के लिए बाध्य किया गया । सिविलियन डिफेंस कर्मचारियों के 13157 रिक्त पदों को समाप्त कर दिया है । सबसे अधिक मिलिटरी इंजीनियरिंग सर्विसेस में 9304 रिक्त पदों को समाप्त कर दिया गया है । 41 आयुध कारखानों को बंद करने का निर्णय लिया गया है जिसमें 80,000 श्रमिक काम करते हैं । मिलिटरी डेयरी फार्म, आर्मी डाक सेवा , आर्मी बेस वर्कशॉप ईएमई सभी पर सरकार ने हथौड़ा चलाया है । आयुध कारख़ाना जिसकी कुल संपत्ति एक लाख करोड़ से भी ज्यादा है और जिसके पास 62,000 एकड़ से भी अधिक की जमीन है उसे सरकार बंद करने जा रही है ।
रेलवे के पुनर्गठन के नाम पर रेलवे बोर्ड में अधिकारियों की संख्या 200 से घटाकर 150 कर दी गयी है । रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के पद को सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) बना दिया है । बोर्ड में सदस्यों की संख्या 8 से घटाकर 5 कर दी गयी है । हाल ही में रेलवे मंत्रालय ने गैरसुरक्षा क्षेत्र के 50 प्रतिशत पदों को समाप्त करने की घोषणा की है । रेलवे हाल ही में ली गयी भर्ती परीक्षाओं पर पुनर्विचार कर रहा है एवं नए पदों के सृजन पर पूर्ण रोक लगा दिया है । रेलवे ने देश भर में 600 रेलवे स्टेशनों को चुना है जिसके विकास एवं उसके आस-पास के भू-भाग के विकास के लिए उसे निजी कंपनियों को 99 साल के लीज पर दिया जाएगा । 109 रूटों पर 150 ट्रेनें चलायी जा रही है । सालाना 3प्रतिशत की दर से पदों को समाप्त किया जाना जारी है । रेलवे हॉस्पिटल पर भी सरकार की नजर है । रेलवे के सभी उत्पादन वाले यूनिट का निजीकरण किया जा रहा है । रेलवे के छापाखाना को बंद किया जा रहा है ।
सरकार पुलिस विभाग के 40 प्रतिशत नियमित गतिविधियों को आउटसोर्स करने एवं बैंक के सामान्य पदों में 50 प्रतिशत की कटौती पर विचार कर रही है ।
एक अनुमान के मुताबिक कोविड-19 के कारण 200 मिलियन नौकरियाँ समाप्त हो गयी है । सार्वजनिक उपक्रम के श्रमिकों में भारी निराशा का माहौल है । विशेषकर कोल , पोर्ट एवं डॉकयार्ड , सड़क परिवहन, नागरिक उड्डयन , विद्युत उत्पादन, योजना श्रमिक , प्रवासी , कृषि, निर्माण, घरेलू कामगार, निजी उद्यमी, फुटकर विक्रेता, रेहड़ी वाले सभी में भारी निराशा का माहौल है ।
दस केंद्रीय श्रमिक संगठनें मिलकर सरकार के श्रमिक विरोधी, जन विरोधी और राष्ट्र विरोधी नीतियों के खिलाफ एकजुट होकर संघर्ष कर रही है । और पूरे देश के श्रमिकों इस वक्त एकजुट होने की जरूरत है ।
हिन्द मजदूर सभा के प0 बंगाल प्रदेश अध्यक्ष एसके पाण्डेय ने बताया कि हरभजन सिंह एक जुझारू एवं संघर्षशील व्यक्तित्व के इंसान हैं। उनके जैसा श्रमिक नेता आज के समय में कहीं नहीं है ।