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श्रीमद्भागवत गीता के आठवें अध्याय पर चर्चा की एवं महत्त्व बताया

भक्तमाल एवं श्री गीता ज्ञान गंगा सत्संग कथा के दूसरे दिन बुधवार को श्री सीताराम जी मंदिर में पूज्य श्री राम जी भाई ने श्रीमद्भागवत गीता के आठवें अध्याय के ऊपर चर्चा की एवं भक्तों को इसका महत्त्व बताया। आठवें अध्याय में श्री अर्जुन ने भगवान कृष्ण से प्रश्न पूछा ब्रह्म क्या है ,अध्यात्म क्या है एवं कर्म क्या है । अविच्छिन्न, अविकारी शाश्वत सत्ता ही ब्रह्म है ,इसका बोध ही अध्यात्म है ,जीव आत्मा मात्र के लिए दी गई आज्ञा वेद मार्ग ही करम है।

श्री राम जी भाई ने बताया कि श्रीमद्भागवत गीता में जो संदेश है वह मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाते है। गीता पाठ में लोगों को जीवन के विभिन्न रास्तों पर उसका मार्गदर्शन करते हैं आज भी मनुष्य जब जीवन के कई पड़ाव पर आकर परिस्थितियों से मजबूर हो जाते हैं तब उसी स्थिति में यह ग्रंथ मनुष्य को हमेशा सत्य का मार्ग चुनने की सलाह देता है। उन्होंने बताया कि यह अध्याय मनुष्य को समझाता है कि किस प्रकार से अपने अंतर मन पर नियंत्रण कर सकता है ।

मनुष्य जीवन का मूल उद्देश्य आत्म कल्याण ही है । जो शास्त्र अनुकूल साधना से ही संभव है । श्री कृष्ण ने कुरुक्षेत्र के युद्ध भूमि पर अपने सखा अर्जुन को कर्म और जीवन पर ध्यान दिए थे जो समस्त प्राणियों के लिए अमृत के समान है। कार्यक्रम के आयोजक राजेंद्र प्रसाद चौधरी एवं मंजू लता ने बताया कि भक्तमाल एवं श्री गीता ज्ञान गंगा सत्संग का आयोजन रानीगंज में पहली बार किया जा रहा है वर्तमान समय में अधिकतर लोग अपने कामकाज में व्यस्त रहते हैं

उनके खुद के लिए उनके पास समय नहीं है ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से उनकी मन के अंदर शुद्धि आती है मन में भक्ति का भाव आता है एवं परोपकार की भावना जागृत होती है उन्होंने बतलाया कि सप्ताह व्यापी धार्मिक आध्यात्मिक कार्यक्रम में मनुष्य हिस्सा लेकर अपना जीवन में खुशियाँ ला सकता है । उन्होंने बताया कि दूर-दराज क्षेत्रों से भी कई भक्तगण कार्यक्रम में उपस्थित हो रहे हैं। प्रसाद का भी आयोजन निरंतर किया जाता है।

Last updated: नवम्बर 28th, 2018 by Raniganj correspondent