Site icon Monday Morning News Network

इस बार धनबाद वासी को मुजफ्फरपुर के लीची का स्वाद नहीं मिलेगा

धनबाद/झरिया । भईया लीची कहां की है। साहब मुजफ्फरपुर की लीची है। एक बार खाइये ना बहुत मिठा है। एसा ही आलम इन दिनों धनबाद की सड़कों पर लगे ठेलों में देखने को मिल रही है।इस बार भी कोयलांचल वासियों को मुजफ्फरपुर के लीची का स्वाद नही मिलने वाला है। लोग मुजफ्फरपुर की लीची समझ कर उसे बढ़े शौक से खा रहे है। लेकिन इस बार धनबाद के थोक मंडी में मुजफ्फरपुर के लीची ने दस्तक ही नही दिया है। जी हां हम बात कर रहे है मुजफ्फरपुर की मशहूर लीची की। इस बार धनबाद के थोक मंडी में मुजफ्फरपुर की लीची ने दस्तक ही नही दी। धनबाद के थोक मंडी में लीची बंगाल के मुसीदाबाद, मालदा कालियाचक, नदिया सहित आसपास के इलाकों काफी पैमाने में पहुंच रही है। धनबाद के दुकानदार मुजफ्फरपुर की मशहूर लीची के नाम पर बंगाल के लीची को बेच रहे है। दरअसल विगत कुछ वर्षों से मुजफ्फरपुर की लीची ने धनबाद थोक मंडियों में दस्तक नहीं थी व्यापारियों की मानें तो मुजफ्फरपुर की लीची की कीमत बंगाल की लीची से काफी अधिक होती है इसी वजह से फल व्यापारी मुजफ्फरपुर से बजाएं बंगाल की लीची ज्यादा मंगवाते हैं। इस बार बंगाल में लीची की पैदावार विगत वर्ष की तुलना में काफी अधिक हुई है।

थोक में 55 से 60 तो खुदरा में 70 से 80 रुपये बिक रहा लीची

इस वर्ष बंगाल का लीची पूरे बाजार में भरी हुआ है। लोगों को बंगाल के लीची में मुजफ्फरपुर से आने वाली लीची का स्वाद मिल रहा है। लीची का भाव इस वर्ष थोक मंडी में 55 से 60 रुपये तक बिक रहा है। वही खुदरा बाजार में 70 से 80 रुपये तक खुलेआम बेचा जा रहा है। खुदरा दुकानदारों की माने तो थोक मंडी से लीची लाना पढ़ता है वही कार्टून में आने वाले लीची का वजन कम होता है। बाजार में आते आते इसका भाव में लगभग दस रूपये की बढ़ोत्तरी हो जाती है। जिस वजह से खुदरा बाजार में लीची का भाव तेज हो जाता है। यदि समय पर लीची बिक जाए तो ठीक है नही तो नुकसान भी होता है।

Last updated: मई 28th, 2022 by Arun Kumar