वैश्विक महामारी कोरोना वायरस के संक्रमण से आज पूरा विश्व प्रभावित है . भारत में लॉकडाउन का पालन करते हुये लोग अपने घरों में हैं लेकिन उनलोगों की परेशानियाँ कम नहीं हो रही है जो परदेश कमाने गए थे और वहीं लॉकडाउन के कारण फंस गए ।
इस समय जो लोग अपने घर से दूर दूसरे राज्य अथवा शहर में फंसे हुये हैं उन्हें अब घर की याद आती है और वो किसी भी तरह अपने घर पहुँचने को लेकर चिंतित हैं। और वे येन-प्रकेर्ण घर जाने के जुगत में लगे रहते हैं । सड़क मार्ग बंद है तो क्या हुआ रेल मार्ग तो खुला है । रेलवे की पटरियाँ अब इन मजदूरों का नया रास्ता है । जहां पुलिस का कोई खौफ नहीं होता है और रेल की पटरियों पर चलकर धीरे-धीरे वे अपने घर को पहुँच रहे हैं ।
बर्दवान से रेल पटरियों पर पैदल धनबाद की ओर चल पड़े चार मजदूर
पश्चिम बंगाल से बिहार-झारखंड जाने वाली रेलवे की पटरियों पर अनायास ही कुछ लोग पैदल चलते दिख जाते हैं । उन्हीं में चार लोग उस रानीगंज में देखे गए जब स्थानीय लोगों ने उन्हें रोक कर उनसे पूछा रेल की पटरियों पर चलते चलते रानीगंज स्टेशन के पास कुआर्डि कोलियरी बारह नम्बर के पास रेलवे लाइन के किनारे पहुंचे चार लोगों को कुछ स्थानीय लोगों ने देखा और पूछने पर उन्होने अपना सारा वृतांत कह सुनाया ।
एक महीने बाद भी नहीं खुला लॉकडाउन तो टूट गया सब्र का बांध
उन्होने बताया कि वे पश्चिम बंगाल बर्द्धमान शहर में कई वर्षों से राजमिस्त्री का काम कर रहे चार साथी भी काफी दिनों से लॉकडाउन के खुलने का ईतंजार कर रहे थे । एक महीने से अपना कमाया हुआ खर्च कर रहे थे । जब उनका पैसा खत्म हो गया और अब खाने के लाले पड़ने की नौबत आ गयी तब वे लोग पच्चीस अप्रैल को बर्द्धमान से पैदल चल पड़े । उन्होने बताया कि वे सभी धनबाद जिले के रहने वाले हैं।
स्थानीय समाज सेवी लोगों ने उन्हें कुछ खाने को दिया और फिर फिर वे लोग अपने गंतव्य की ओर आगे बढ़ गए । मदद करने वाले युवाओं में यासीन अहमद, मुर्तजा खान, जमशेर खान ,टोनी खान ,सतनाम सिंह आदि ने उन्हें सत्तू , बिस्कुट, चनाचूर, रुपये देकर उनकी सहायता की ।