तृणमूल का दीवाल लेखन मिटाने की हिम्मत नहीं जुटा पाये चुनाव अधिकारी
लोकसभा चुनाव के घोषणा के बाद सभी राजनीतिक दलों में वर्चस्व की लड़ाई छिड़ गई है सभी अपने अपने उम्मीदवार के पक्ष में दीवार लेखन का कार्य आरम्भ कर दिये हैं। मतदाता को रिझाने का कार्य चल रहा है सभी अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट देने की अपील कर रहे हैं ।
चुनाव आयोग भी सतर्कता से अपने कार्य को कर रही है । चुनाव आयोग के निर्देशानुसार किसी भी सरकारी संस्थाओं के दीवार में किसी भी दल के पक्ष में प्रचार प्रसार नहीं करने दिया जाएगा ।
बोगड़ा ईलाके में चुनाव आयोग की टीम ने आज दौरा किया सभी सरकारी जगहों में लिखे गए चुनाव प्रचार को मिटा दिया गया लेकिन चुनाव अधिकारी के द्वारा यहाँ दोहरा मापदण्ड देखा गया ।
यहाँ सत्ताधारी दल के दीवार लेखन को छोड़कर सभी दलों के प्रचार-प्रसार के लिए लेखन को मिटा दिया गया । चुनाव अधिकारी से सवाल करने पर वे अपने मुँह को ढंककर चलते बने । चुनाव अधिकारी के इस क्रियाकलाप से स्थानीय लोगों में चुनाव आयोग के प्रति नाराजगी है । ये लोग सत्ताधारी दल के एजेंट के रूप में कार्य कर रहे हैं ।
कितना निष्पक्ष हो पाएगा यह लोकसभा चुनाव
अब सवाल उठता है कि जब दीवाल लेखन मिटाने में चुनाव अधिकारी का यह रवैया है तो बूथ पर वोटिंग के समय क्या होगा ? जिस चुनाव आयोग कार्य निष्पक्ष चुनाव कराना है उसी के एक अधिकारी के इस रवैये से अब लोकसभा चुनाव कितना निष्पक्ष हो पाएगा उस सवाल उठने लगे हैं। आशंका तो यह जताई जाने लगी है कि कहीं पंचायत चुनाव 2018 वाली स्थिति को फिर से न दुहराया जाए ।
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