मेरी बात,,,, एक इंसान के मन की जीद,,, आज का यह टॉपिक सभी मनुष्यों के लिए लिख रहा हूँ कहने में तो एक इंसान की जीद काफी अग्रेसिव शब्द महसूस हो रही हैँ किन्तु उस इंसान की जीद के किया कहने जिन्होंने स्वयं को मान कर इस जीद शब्द को खुद में परिभाषित कर लिया हैँ वैसे तो एक कहावत अक्सर यह भी कही जाती हैँ कि एक जिद्दी इंसान अपने जीवन में कभी भी निराश और हताश नहीं होता हैँ और जब बात उसके अपने पर आ जाती हैँ तो वो इंसान उस जीद को लड़ कर भी पार कर लेता हैँ जिसमें कि वो इंसान दक्ष भी नहीं होता अपितु इंसान की उसकी सच्ची परिभाषा उस इंसान की इंसानियत ही होती हैँ किन्तु जीद का रोल उस इंसान की लाइफ में हमेंशा एक सक्रिय भूमिका निभाती हैँ कहते हैँ कि एक सूरज की तपिश उसके सामने में जाकर ही समझ आती हैँ किन्तु एक जिद्दी इंसान हर उस काम को कर लेता हैँ जो उसने अपने मन में ठानकर उस कार्य को करता हैँ जैसे एक सूरज कितना भी आग उगल ले वो समुन्द्र को नहीं सूखा सकता ठीक वैसे ही एक जिद्दी इंसान के बीच कितनी भी बाधाए आए तो भी वो इंसान उस बाधा को पार कर ही लेता हैँ ऐसा मेरा मानना हैँ तो इंसान को जीद अवश्य करना चाहिए क्योंकि उस जीद को पूरा करवाने में सारी कायनात उसके साथ जो लग जाती हैँ वैसे भी इंसान की फितरत और अल्हड़पन उसे जीद करने को मजबूर जो कर देती हैँ, अगर कोई भी जीद करके कार्य करता हैँ तो उसके बाद ही जीत का अहसास उस इंसान को होता हैँ कि एक जीद ही उस इंसान के मन और मस्तीष्क पर एक अलग तरह का प्रभाव छोड़ता हैँ तो कार्य को लेकर अवश्य जिद्दी बनें जिससे की वो कार्य जो आपने सोचा हैँ वो अवश्य पूरी हो तो दोस्तों मन के इस जीद को अवश्य जीत में बदलें फिर आनेवाला समय आपका ही होगा,
लेखक सह पत्रकार, अरुण कुमार, मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क,
शाखा प्रबंधक भागवत ग्रुप कारपोरेशन,