चौपारण प्रखंड के कमलवार गाँव में आज ईद-उल-अजहा की नमाज आज सुबह 7:15 बजे अदा की गई। कमलवार के इमाम साहब मोहम्मद अमीर हमजा ने तकरीर करते हुए कहा की ईद-उल-अजहा की नमाज का मतलब सिर्फ कुर्बानी नही बल्की सभी गिले-शिकवे, नाराजगी एवं दुश्मनी को भुलाकर आपसी भाईचारा को बढ़ाना एवं आपसी मोहब्बत बढ़ाना भी है। नमाजी सैकड़ों की संख्या में ईदगाह में नमाज पढ़े एवं बादे नमाज एक दूसरे को गला लगाकर मुबारकबाद दिया।
हजरत इब्राहिम की याद में ईद-उल-अजहा मनाई जाति है•••
ईद-उल-अजहा हजरत इब्राहिम की कुर्बानी की याद में ही मनाया जाता है। हजरत इब्राहिम अल्लाह के हुकुम पर अपनी वफादारी दिखाने के लिए बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हुए थे। अल्लाह का हुकुम मानते हुए हजरत इब्राहिम जैसे ही अपने बेटे की गर्दन पर वार करने गए, अल्लाह ने उसे बचाकर एक बकरे की कुर्बानी दिलवा दी। तभी से इस्लाम धर्म में बकरीद मनाने का प्रचलन शुरू हो गया।