कुर्बानी का त्योहार ईद-उल अजहा हर्षोल्लास से लोगों ने मनाया
गोमो : ईद उल अजहा की नमाज तोपचांची प्रखण्ड के कई गाँव जैसे, हरिहरपुर, चौरापट्टी, चितरो, सुकुडीह, तेहरताण्ड, गोमो आदि गाँव एवं शहरी क्षेत्रों में शान्ति एवं सौहार्द माहौल में पढ़ी गई। नमाज के बाद सभी मुस्लिम भाइयों ने सभी के साथ गले मिले एवं एक दूसरे को बक़रीद की मुबारकबाद दिए ।
लोग अपने घर जाकर जानवरों की कुर्बानी दिए और कुछ हिस्सा अपने घर रखकर, बाकी हिस्सा दोस्तों, रिश्तेदारों, गरीबों, यतीमों में बाँटे ।
इस दौरान लोको बाजार गोमो जामा मस्जिद के ईमाम मो0 मकसूद कासमी ने बताया कि ईद-उल (बकरीद) को अरबी में ईद-उल जुहा भी कहते हैं। इस त्यौहार को रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद मनाया जाता है। इस्लाम में इस पर्व का बहुत ही महत्त्व है।
हजरत इब्राहिम अ0 स0 द्वारा अल्लाह के हुक्म पर अपने बेटे की कुर्बानी देने के लिए तत्पर हो जाने की याद में इस त्यौहार को मनाया जाता है। इस्लाम के विश्वास के मुताबिक अल्लाह हजरत इब्राहिम की परीक्षा लेना चाहते थे। और इसीलिए उन्होंने उनसे अपने बेटे इस्माइल की कुर्बानी देने के लिए कहा। हजरत इब्राहिम को लगा कि कुर्बानी देते समय उनकी भावनाएं आड़े आ सकती हैं। इसलिए उन्होंने अपनी आँखों पर पट्टी बांध ली थी।
जब उन्होंने पट्टी खोली, तो देखा कि मक्का के करीब मिना पर्वत की उस पहाड़ी पर उनका बेटा नहीं, बल्कि दुंबा पड़ा था और उनका बेटा उनके सामने सही सलामत खड़ा था। विश्वास की इस परीक्षा के सम्मान में दुनिया भर के मुसलमान इस अवसर पर अल्लाह में अपनी आस्था दिखाने के लिए जानवरों की कुर्बानी देते हैं।
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