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पंजाबी मोड़ की दास्ताँ – पहले फोर लाइन ने मारा फिर सिक्स लाइन ने तो सुला ही दिया

जर्जर अवस्था में है राष्ट्रीय राजमार्ग से रानीगंज में प्रवेश करने का यह प्रमुख मार्ग सर्विस लेन

कभी व्यवसाय का केंद्र रहा पंजाबी मोड़ आज खस्ताहाल से गुजर रहा है

विशेष संवाददाता ,रानीगंज / आसनसोल संसदीय क्षेत्र के रानीगंज विधानसभा एवं रानीगंज ब्लॉक के आमरासोता पंजाबी मोड़ की दास्तान दुःखद है विकास एवं प्रगति की दोहरी मार इस अंचल के व्यवसाय वाणिज्य पर पड़ी है । एक तरफ बेरोजगारी आज यहाँ की सबसे बड़ी समस्या है तो दूसरी ओर जर्जर सड़कें । रानीगंज विधानसभा क्षेत्र का वृहत्तर इलाका एक तरफ जहाँ आमरासोता ग्राम बीच में पंजाबी मोड़ और दूसरी तरफ रामबागान के नाम से मशहूर है इस । इस इलाके में लगभग 12 हजार लोग रहते हैं, करीब सात हजार मतदाता इस क्षेत्र में हैं ।

पहले फोर लाइन ने मारा फिर सिक्स लाइन ने तो सुला ही दिया

रानीगंज , पंजाबी मोड़ पर बना यह फ्लाई ओवर ब्रिज

स्थानीय समाजसेवी एवं व्यवसाई पुत्र दयाशंकर राय ने बताया कि सब कुछ उजड़ गया है इस अंचल के लोगों का । पहले तो फोर लाइनिंग से इस अंचल का विनाश हुआ, किसी तरह से हम लोग खड़ा हुए थे कि सिक्स लाइनिंग की मार पड़ गई । सब कुछ उजड़ गया । यहाँ का मुख्य व्यवसाय ट्रांसपोर्ट, इससे जुड़ी इंजीनियरिंग वर्क, होटल , ढाबा यहाँ का मुख धंधा था । आज यह सब धंधा लगभग बंदी के कगार पर हैं ।

जर्जर सर्विस रोड के कारण गाडियाँ इधर नहीं आती है

उन्होंने बताया कि सिक्स लाइनिंग के पश्चात यहाँ वाहन रूकती ही नहीं है । सब ऊपर-ऊपर फ्लाई ओवर से चले जाते हैं और सर्विस रोड की इतना अधिक दयनीय हालत है कि जो आना भी चाहते हैं वह भी नहीं आते । जर्जर हालत के लिए केंद्र सरकार पर दोष दी जाती है लेकिन हम लोग करें क्या ? कॉरपोरेशन को टैक्स देते हैं । अब पहल कारपोरेशन को करनी चाहिए । लेकिन दोनों के बीच में हमलोग पीस रहे हैं ।

कोयले का प्रमुख मंडी था पंजाबी मोड़

पंजाबी मोड़ के अतीत और वर्तमान को बता रहे व्यवसायी

जगत मामा के नाम से मैसूर पंजाबी मोड़ के सरदार सुखदेव सिंह कहते हैं काफी गुलजार रहा करता था यह पंजाबी मोड़, कोयले का मुख्य मंडी था । सभी प्रांतों के लोगों का केंद्र बिंदु पंजाबी मोड़ था । छोटी सी दुकान है अब । किसी तरह से संसार चलती है भैया ।

विकास के तोहफे में मिली प्रदूषित हवा और कोल डस्ट

आमरासोता ग्राम के बाशिंदा नगेंद्र सिंह कहते हैं कि काफी लड़ाई के बाद इस अंचल के लोगों को पानी मिली लेकिन अभी भी पर्याप्त नहीं है । आज भी इस अंचल के लोगों को पानी खरीदना ही पड़ता है । गाँव के रास्ते घाट अच्छी है लेकिन भैया इस अंचल के लोगों को बदले में मिली प्रदूषित हवा , कोल डस्ट , फलस्वरुप यहाँ के लोग हृदयरोग क्षय रोग पेट के रोग से ग्रस्त रहते हैं । शोर-शराबा मचाने पर कभी-कभार पानी का छिड़काव सड़कों पर कर दी जाती है लेकिन नियमित कुछ भी नहीं है ।

विकास केवल निजी चिकित्सकों का हुआ है

यह इलाका हिंदी भाषियों का है । पहले माकपा के कुशासन का शिकार इस अंचल के लोग थे , रंगदारी बसूला करते थे , लेकिन राजनीति परिवर्तन आई और अब इस अंचल के लोग स्वतंत्र रूप से अपनी बातें कहते हैं लेकिन यहाँ ना तो कोई स्कूल है और ना ही कोई सरकारी चिकित्सालय । बस रामबागान इलाके के प्राइवेट नर्सिंग होम एवं चिकित्सकों पर हम लोग निर्भर हैं । यदि इस अंचल में विकास हुआ है तो चिकित्सकों का । आरोप लगाया जाता है कि इस क्षेत्र के चिकित्सक मरीजों को लूट रहे हैं । विकास मात्र उनका बहुमुखी हो रही है। राजनीतिक पार्टियों की सरपरस्ती उन्हें प्राप्त है ।

Last updated: अप्रैल 20th, 2019 by Raniganj correspondent