Site icon Monday Morning News Network

गुपचुप तरीके से डीवीसी प्रबंधन ने मैथन डैम के बीच बनाया कॉरेन्टीन सेंटर, बंगाल पुलिस अनजान

कल्याणेश्वरी डीवीसी मैथन परियोजना के अंतर्गत डैम को सुशोभित करने वाला बंगाल क्षेत्र में स्थित मजूमदार निवास को इन दिनों डीवीसी प्रबंधन ने अपने चिकिसकों और नर्स के लिए कॉरेन्टीन सेंटर बना दिया है। किंतु इस संदर्भ में बंगाल प्रशासन से लेकर सालानपुर पुलिस और सालानपुर ब्लॉक अधिकारियों को कानों कान खबर नहीं है और ना ही डीवीसी प्रबंधन द्वारा बंगाल क्षेत्र के किसी अधिकारियों को सूचित किया गया है।

मैथन झारखंड क्षेत्र में स्थित डीवीसी बीपी नियोगी अस्पताल के चिकित्सक और नर्स को डीवीसी बंगाल क्षेत्र स्थित मजुमदार निवास में शरण देने से यहाँ के आस-पास की जनता में दहशत का माहौल बन चुका है।

घटना के संदर्भ में बताया जाता है कि मैथन(बंगाल) दुलाल शोल गाँव निवासी 70 वर्षीय वृद्ध महिला को दांत में इंफेंक्शन एवं तेज़ बुखार की शिकायत के बाद बीपी नियोगी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान वृद्ध महिला की मौत हो जाने के बाद, कोरोना संदेह को लेकर अस्पताल प्रबंधन से लेकर डीवीसी प्रबंधन के हाथ पाँव फूलने लगी, एहतियातन डीवीसी प्रबंधन द्वारा अस्पताल को बंद कर वृद्ध महिला की शव को जाँच के लिए पीएमसीएच अस्पताल धनबाद भेज दिया गया जबकि वृद्ध महिला के इलाज में लगे चिकित्सक और नर्स को बंगाल क्षेत्र स्थित मजूमदार निवास में कॉरेन्टीन कर दिया गया।

पूरे प्रकरण में डीवीसी प्रबंधन की लापरवाही खुल कर सामने आ चुकी है। डीवीसी अधिकारियों द्वारा सुरक्षा की दृष्टिकोण से भी बंगाल के किसी भी अधिकारियों को मामले की जानकारी नहीं दी गयी है।

ताज़ा उदाहरण पिछले दिनों सालानपुर से लेकर जामुड़िया में कॉरेन्टीन स्थापित को लेकर जनता और पुलिस के बीच हुई झड़प है। ऐसे में मजूमदार निवास में रह रहे कॉरेन्टीन चिकित्सक और नर्स की सुरक्षा किसकी जिम्मेवारी है? झारखण्ड क्षेत्र की कॉरेन्टीन सेंटर बंगाल में महज इसलिए कि डीवीसी परियोजना संरक्षित क्षेत्र है।

मैथन डैम के बीच के टापू पर स्थित है मजूमदार निवास


हालांकि मजूमदार निवास से लगभग 400 मीटर पीछे ही बंगाल (कल्याणेश्वरी) पुलिस का चेक नाका है, और मैथन बांध पार करते ही झारखण्ड(मैथन) पुलिस का चेक नाका है।

मजूमदार निवास के आस-पास ही लगभग 20 से 25 परिवार है। इन परिवार के दोनों ओर इन दिनों बेरियर लगी है, बंगाल पुलिस द्वारा भी डैम निवासियों को पूछताछ के बाद ही कल्याणेश्वरी लेफ्ट बैंक की ओर प्रस्थान करने की अनुमति दी जाती है।

यहाँ निवास करने वाली सभी परिवारों में मजूमदार निवास को लेकर डर और भय आक्रांत है। स्थानीय लोगों ने कहा कि झारखण्ड क्षेत्र से किसी को कैसे बंगाल में कॉरेन्टीन किया जा सकता है, और वो भी बंगाल प्रशासन की अनुमति बगैर। मामले को लेकर सालानपुर बीडीओ तपन सरकार से इस संदर्भ में पूछने पर उन्होंने कहा कि मजूमदार निवास में किसी संदिग्ध कोरोना पेशेंट अथवा किसी को कॉरेन्टीन किया गया है, इसकी जानकारी नहीं है, मामले को लेकर स्थानीय लोग शिकायत कर सकते हैं, जिसके बाद मामले की जाँच की जाएगी।

सालानपुर थाना प्रभारी का हास्यास्पद बयान – “बंगाल में नहीं है मजूमदार निवास”

कल्याणेश्वरी।पश्चिम बंगाल राज्य के पश्चिम बर्द्धमान जिला स्थित सालानपुर ब्लॉक के देंदुआ पंचायत स्थित शौरकुड़ी मौजा और मैथन डैम के छोटी सी टापू पर स्थित मजूमदार निवास जहाँ कुछ वर्ष पहले राज्य की मुखिया मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी दो दिन ठहर चुकी है। डीवीसी परियोजना अंतर्गत बंगाल की अंतिम छोर पर स्थित मजूमदार निवास को सालानपुर थाना प्रभारी पवित्र कुमार गाँगुली ने एक झटके में बंगाल से उठाकर झारखण्ड पहुँचा दिया और कहा कि मजूमदार निवास बंगाल में नहीं है। बड़ी ही अचरज की बात है। जिस मैथन बांध की प्रथम बेरियर गेट तक प्रतिदिन कल्याणेश्वरी पुलिस द्वारा पेट्रोलिंग की जाती है। मजूमदार निवास के समक्ष सिविक पुलिस तैनात की जाती है और इससे भी बड़ी बात सालानपुर थाना प्रभारी एवं कल्याणेश्वरी फांड़ी प्रभारी कक्ष में दीवार पर लगी एरिया मैप में भी मजूमदार निवास बंगाल राज्य के सालानपुर थाना क्षेत्र में दर्शाया गया है। और स्वयं थानाध्यक्ष को अपनी क्षेत्र की जानकारी ना हो बड़ी ही हास्यास्पद है। मामले को लेकर बताते चलें कि मजूमदार निवास को डीवीसी प्रबंधन द्वारा अस्थायी कॉरेन्टीन बनाये जाने की सूचना के बाद जब दूरभाष पर सालानपुर थाना प्रभारी से पूछा गया तो उन्होंने कड़क भाव से मजूमदार निवास को झारखण्ड में होने और साबित करने की जिद्द पर अड़ गए।

गलत जगह पर कल्याणेश्वरी पुलिस ने लगाया है चेक नाका

कल्याणेश्वरी बंगाल झारखण्ड जीरो लाइन से लगभग 400 से 500 मीटर पीछे कल्याणेश्वरी पुलिस द्वारा चेक नाक लगाकर बॉर्डर सील किया गया है। इस 400 से 500 मीटर के अंदर क्षेत्र में तकरीबन 20 से 25 (बंगाल क्षेत्र) के परिवारों का निवास है। ऐसे में यहाँ की स्थानीय लोगों का शिकायत है कि उन्हें आए दिन रोजमर्रा की जरूरतों को पूर्ति करने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। एक और झारखंड की सीमा जिधर जा पाना नामुमकिन है। दूसरी ओर बंगाल अपने ही राज्य की चेक नाका जहाँ काफी पूछताछ और पड़ताल के बाद ही कल्याणेश्वरी की ओर जाने की अनुमति मिल पाती है।

Last updated: अप्रैल 29th, 2020 by Guljar Khan