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डीवीसी-डीएसटीपीएस ने स्कूल -कॉलेज की लड़कियों को ” मासिक-धर्म ” पर किया जागरूक

सीएसआर, डीवीसी डीएसटीपीएस के “स्वच्छ भारत स्वच्छ कन्या” योजना के तहत स्कूल कॉलेजों में लड़कियों के लिए सेमिनार आयोजित

मासिक धर्म के दौरान स्वस्थ्य की देखभाल और सेनिटरी पैड के उपयोगिता पर लड़कियों के साथ विचार विमर्श

” लड़कियों को जब पहला मासिक- धर्म होता है, तो वे काफी तनाव से गुज़रती हैं। उन्हें अकसर तरह- तरह की भावनाएँ आ घेरती हैं। बहुत- सी लड़कियों को डर और चिंता सताने लगती है, क्योंकि या तो उन्हें मासिक-धर्म के बारे में गलत जानकारी होती है, या अकसर ऐसा होता है कि उन्हें ज़रा भी जानकारी नहीं होती। जो लड़की पहले मासिक- धर्म के लिए तैयार रहती है वह अकसर इसका सामना और भी अच्छी तरह कर पाती है। उसे ज़्यादा घबराहट नहीं होती।” 

छात्राओं को मासिक धर्म की जानकारी देतीं शिक्षिका शर्मिष्ठा भट्टाचार्य

उक्त बातें राष्टीय शिक्षक सम्मान प्राप्त देश की जानी-मानी शिक्षिका शर्मिष्ठा भट्टाचार्य ने दामोदर घाटी निगम के दुर्गापुर इस्पात ताप विद्युत् केंद्र के नैगमिक सामाजिक दायित्व (सीएसआर) के अंतर्गत कोलकाता स्तिथ गैर सामाजिक संस्था सीड के सहयोग से आयोजित अंडाल ग्राम हाई स्कूल और खांदरा कॉलेज में सेमिनार के दौरान लड़कियों को सम्बोधित करते हुए कही । उन्होंने कहा कि मासिक धर्म (मेंस्ट्रुएशन) जैसे विषयों पर दबे स्वर में चर्चा होती है। इस विषय पर लड़कियों को संवेदनशील बनाना समय की जरूरत है। श्रीमती भट्टाचार्य ने पूरी मासिक धर्म प्रकिर्या और इसके दौरान उचित देखभाल की विस्तृत जानकारी पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के द्वारा दी। सेमिनार के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए “सीड” के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री सोमनाथ भट्टाचार्य ने कहा कि मासिक-धर्म एक प्रक्रिया है, यह महिलाओं में 28 से 30 दिन पर आती है जो 4 से 5 दिनों तक रहता है। हर लड़कियाँ जब 12 से 15 साल की होती है तो उस समय इस साइकिल के शुरूआत होने का समय आता है। यही समय है जब लड़कियों को इस संबंध में उचित सलाह देकर जागरूक किया जाए।

मासिक धर्म पर खुलकर बात होनी चाहिए

सेमिनार को सम्बोधित करते हुए सीएसआर उपप्रबंधक मोहमद शमीम ने कहा कि मासिक के समय कैसे रहा जाए ? क्या उपयोग किया जाए और क्या नहीं किया जाए? इन सब के प्रति सतर्क एवं सजग करना ही सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इस संबंध में खुलकर आपस में बात होनी चाहिए । मासिक धर्म के समय स्वच्छता बनाए रखें । मासिक के दौरान हमेशा सेनिटरी पैड का उपयोग करें।

मासिक धर्म को होना अपवित्र नहीं एक पवित्र चीज है

सेमिनार के दौरान अपर निदेशक (मासा) श्रीमती बल्लारी सरकार ने कहा कि समाज में एक अंध विश्वास व्याप्त है कि मासिक आना एक अपवित्र चीज है, पर हकीकत यह है कि यह पवित्र चीज है और हर स्त्री के जिंदगी का यह अहम हिस्सा है। यों कहिए यह स्त्रीत्व का प्रमाण है। इस दौरान अच्छे से साफ रहना चाहिए। स्नान करना चाहिए। उचित आहार लेना चाहिए। लड़कियों को स्कूल जाना चाहिए और रोजमर्रा का हर काम अन्य दिनों के तरह ही करना चाहिए।

डीएसटीपीएस ने सेनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और इंसीनेटर की स्थापना की है

सेनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन से नैप्किन निकालती छात्राएं

ज्ञात हो के सीएसआर, डीवीसी डीएसटीपीएस के “स्वच्छ भारत स्वच्छ कन्या” योजना के तहत कुछ समय पहले अंडाल ग्राम हाई स्कूल और खांदरा कॉलेज  में सेनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन और इंसीनेटर की स्थापना की गयी ताकि लड़कियों को सस्ते मूल्यों पर सेनिटरी पैड स्कूल/कॉलेज में ही उपलब्ध हो जाये जिससे इस चक्र के दौरान स्कूल ना जा पाने की (एब्सेंट होने) की समस्या का निदान हो सके, डीवीसी आगामी कुछ समय में अंडाल के आस पास के 5 और स्कूल में वेंडिंग मशीन और इंसीनेटर लगाने जा रही है और धीरे धीरे अंडाल ब्लॉक के सभी स्कूल को इस योजना के अंतर्गत लेन का विचार है.

कार्यक्रम के दौरान अंडाल ग्राम हाई स्कूल के 200 से अधिक लड़कियों एवं खांदरा कॉलेज की 150 के आस पास लड़कियाँ उपस्थित थी और शरीर के इस चक्र के बारे में इतनी विस्तृत जानकारी पाकर उन्होंने डीवीसी और सीड संस्था की पूरी टीम को धन्यवाद दिया. कार्यक्रम में दौरान डीवीसी की ओर से वरिष्ठ प्रबंधक सीएसआर श्री संजीव श्रीवास्तव, अपर निदेशक (मा सा) श्रीमती बल्लारी सरकार, उपप्रबंधक सीएसआर मोहम्मद शमीम अहमद, सीड संस्था कि ओर से एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर श्री सोमनाथ भट्टाचार्य, मृणाल भट्टाचार्य, रितुपर्णा नाथ, अंडाल ग्राम हाई स्कूल के प्रधानाध्यापक श्री पार्थो प्रीतम पाल एवं खांदरा कॉलेज के प्रिंसिपल श्री संजीव हाजरा एवं स्कूल कॉलेज की कई शिक्षिकाएं उपस्थित थी।

Last updated: फ़रवरी 18th, 2018 by News Desk Monday Morning