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ठंड से बचने के लिए घर में रखा चूल्हा रखना चाहते हैं तो इसे पढ़ें

घटना के बाद जमा स्थानीय लोग

घर में चूल्हा रखकर सो रहे दम्पति की मौत, बेटियाँ हुई बेहोश

दुर्गापुर :- कड़ाके की ठंड से बचने के लिए घर के भीतर आग का चुल्हा जलाकर पुरा परिवार सो रहे थे. आग के गैस की चपेट में आने से दंम्पति की मौत हो गयी. जबकि उनके दोनो बेटी बेहोश हो गयी. दोनो को ईलाज के लिए दुर्गापुर महकमा अस्पताल में भर्ती कराया गया है जहां पर एक बेटी को प्राथमिक चिकित्सा के बाद छोड़ दिया गया जबकि दुसरे की ईलाज चल रही है. घटना दुर्गापुर थाना के कुरूलिया डंगा बाउरी पाड़ा की है.

जहरीली हवा से हुयी निःशब्द मौत

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मंगलवार की रात कुरूलिया डंगा बऊरी पाड़ा में एक परिवार के लोग ठंड से बचने के लिए घर के भीतर आग का चुल्हा जलाकर सो रहे थे. आग के कारण पूरे घर में जहरीली गैस फ़ैल गयी और उसके चपेट में आने से परेश चंद्र बऊरी (53) व उनकी पत्नी शीला बऊरी (47) की मौत हो गयी. जबकि घर के भीतर सो रही उनकी दो बेटी को बेहोशी की हालत में लोगो ने घर से बाहर निकाल कर अस्पताल में भर्ती कराया.

सुबह जगाया तो नहीं जागे

घटना की खबर पाकर पहुंचे पुलिस ने दंम्पति के शवों को कब्जे में लेकर पोस्ट मार्टम के लिए दुर्गापुर महकमा अस्पताल में भेज दिया. मृतक का बेटा भरत बऊरी ने बताया कि रात के समय वह दुसरे जगह पर सो रहे थे जब बुधवार की सुबह घर में परिवार के लोगो को नींद से उठाने के लिए पहुंचे तब उनके माता-पिता और दोनों बहने नही उठी. दरवाजा खोल कर देखा कि उनके माता-पिता मरे पड़े है जबकि दोनो बहन बेहोशी की हालत में थी. दोनो को बेहोशी के हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया. घटना से इलाके में मातम का महौल देखे जा रहे है.

बंद कमरे में चूल्हा रखने से बनती है जहरीली हवा

अक्सर लोग ठंड से बचने के लिए बंद कमरे में चूल्हा रख कर सोते हैं । और इससे होने वाली मौते प्रायः ही खबरों में आती रहती है। दरअसल बंद कमरे में चूल्हा जलाने पर जहरीली गैस का निर्माण होता है जिसे कार्बन मोनो ऑक्साइड कहते हैं। हम सभी जानते हैं कि किसी भी चीज को जलाने पर कार्बन-डाई-ऑक्साइड गैस का निर्माण होता है और आग जलने में ऑक्सीज़न गैस कि खपत होती है। लेकिन पाठकों को जानकारी होनी चाहिए कि बहुत कम ऑक्सीज़न में आग सुलगती है और उस वक्त ऑक्सीज़न की कमी होने के कारण कार्बन डाई ऑक्साइड (एक कार्बन के साथ दो ऑक्सीज़न) के स्थान पर कार्बन मोनो ऑक्साइड (एक कार्बन के साथ एक ऑक्सीज़न) का निर्माण होता है। कार्बोन मोनो ऑक्साइड बहुत जहरीली हवा है जो रक्त में घुल कर लाल रक्त कणिकाओं को निष्क्रिय कर देती है जिससे व्यक्ति की ऑक्सीज़न की कमी से बेहोशी हो जाती है और जब यह कमी बनी रहती है तब मौत हो जाती है।

बंद कमरे में भी दरवाजे और खिड़कियाँ बंद होने के कारण आक्सीजन की कमी हो जाती है । जलता चूल्हा बहुत तेजी से कमरे के ऑक्सीज़न को खा रहा होता है। और जब ऑक्सीज़न कम होने लगता है तो फिर कार्बन मोनो ऑक्साइड बनने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है । चूंकि व्यक्ति नींद में होता है इसलिए उसे पता ही नहीं चलता कि कब बेहोश हो गया और फिर धीरे-धीरे उसकी मौत हो जाती है।

ठंड से बचने के लिए कभी भी बंद कमरे में चूल्हे का इस्तेमाल न करें

Last updated: जनवरी 10th, 2018 by Pankaj Chandravancee

Pankaj Chandravancee
Chief Editor (Monday Morning)
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