Site icon Monday Morning News Network

ईसीएल के परित्यक्त खदानों में मतस्य पालन की संभावनाएं तलाशने के लिए डीएम ने किया दौरा

मतस्य पालन की संभावनाएं तलाशने के लिए परित्यक्त खदान का नौका के जरिये अवलोकन करते हुये डीएम शशांक सेट्ठी

सालानपुर। पहली बार कृषि मंत्री का पद संभालने के बाद मंत्री मलय घटक ने ईसीएल के परित्यक्त खदानों का दौरा किया था और कहा था कि इन परित्यक्त खदानों में मतस्य पालन पर सरकार विचार करेगी । हालांकि बाद में स्वयं उन्होंने भी इस विषय पर कभी कुछ नहीं कहा लेकिन अब कम से कम जिला स्तर से इस दिशा में एक पहल होती दिख रही है । ईसीएल के बंद पड़े परित्यक्त कोयला खदानों में मत्स्य पालन को पूरे जिले भर में वृहद अकार देने के लिए पश्चिम बर्द्धमान जिला शासक शशांक कुमार सेठी के नेतृत्व में शनिवार को सालानपुर ब्लॉक के सामडीह पंचायत स्थित संग्रामगढ़ परित्यक्त ओसीपी का निरीक्षण किया गया।

जिला शासक के साथ एडीएम खुर्सीद अली कादरी एवं सालानपुर बीडीओ तपन सरकार मुख्य रूप से उपस्थित थे। अधिकारियों ने यहाँ के खदान में मत्स्य पालन कर रहे शिव शंकर मत्स्य पालक समूह के साथ मत्स्य पालन पर विस्तृत चर्चा किया। साथ ही नाव पर सवार होकर जिला अधिकारी ने पूरे खदान का दौरा किया।

मतस्य पालन कर रहे स्वयं सहायता समूह से चर्चा किए

मतस्य पालकों से बात करते हुये डीएम शशांक शेट्ठी

शिव शंकर मत्स्य व्यवहारकारी गोष्ठी द्वारा जलाशय से लगभग 10 किलों विभिन्न प्रजाति की मछलियों को निकाल कर दिखाया गया। उपस्थित अधिकारी गोष्ठी द्वारा किए जा रहा मत्स्य पालन को देखकर बहुत ही प्रसन्न हुए, इस दौरान अधिकारियों ने शिव शंकर मत्स्य व्यवहारकारी गोष्ठीके अध्यक्ष तारक धीवर से सरकार द्वारा मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी ली । तारक धीवर ने बतायाकि सालानपुर पंचायत समिति के नेतृत्व में सालानपुर मत्स्य विभाग द्वारा अब तक उन्हें तीन बार मत्स्य जिला, चारा और मत्स्य पालन की आधुनिक जानकारी मिल चुकी है। उन्होंने इस कार्य के लिए ईसीएल सालानपुर की भी सराहनीय योगदान की बात कही।

मौके पर उपस्थित एडीएम खुर्शीद अली कादरी ने कहा कि पूरे पश्चिम बर्द्धमान में किस प्रकार से परित्यक्त कोयला खदानों एवं अन्य तालाबों में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाय इस पर मंथन किया जा रहा है, इसके लिए जिला मुख्यालय में डीएम साहब के नेतृत्व में बैठक भी किया गया है।

उन्होंने कहा कि परित्यक्त कोयला खदानों में कैसे मछली पालन किया जाता है, मार्केटिंग, ट्रांसपोर्टिंग, उत्पादन, ट्रेनिंग समेत गोष्ठी द्वारा ओसीपी में मत्स्य पालन को देखने आज स्वयं डीएम साहब यह आये है। इस कार्य को और भी विस्तार करने में आज का दौरा सहायक होगी जिससे अन्य बंद पड़े परित्यक्त कोयला खदानों में मत्स्य पालन को बढ़ावा दिया जाएगा।

उन्होंने बताया कि बाकी एक्सपर्ट की ओपिनियन के बाद आगे की प्रक्रिया पर कार्यवाही की जाएगी। जिससे जिले भर में मत्स्य उत्पादन से लेकर जीविकोपार्जन में एक सार्थक पहल होगी । मौके पर सालानपुर मत्स्य अधिकारी प्रवीर मजूमदार, सामडीह पंचायत प्रधान जनार्दन मंडल समेतशिव शंकर मत्स्य व्यवहारकारी गोष्ठी के सदस्य उपस्थित थे।

पहले से मौजूद तालाबों की भी सुध ले जिला प्रशासन

जिला प्रशासन परित्यक्त खदानों में मतस्य पालन करना चाहता है यह बहुत खुशी की बात है लेकिन मतस्य पालन के लिए पहले से जो निर्धारित तालाब हैं जिस पर मतस्य कानून लागू होता है उस पर भी सुध लेने की जरूरत है ।

जिले में आए दिन तालाब भरे जाने की खबरें आती रहती है । सरकारी उदासीनता के कारण ज़्यादातर तालाब सूख चुके हैं या सूखने की कगार पर हैं । इन तालाबों के जीर्णोद्धार पर जिला प्रशासन को ध्यान देना चाहिए ।

जिले के ही अंडाल ब्लॉक में तालाब माफियाओं ने कई तालाब भर दिये , उस पर मकान बना दिये और कइयों के भरने की कोशिश में लगे हुये हैं । जिन तालाबों में कभी मछली पालन होता था वे सूख चुके हैं जो बचे हैं उन्हें सुखाया जा रहा है ताकि उस पर भवन निर्माण हो सके ।जिला प्रशासन को इस विषय पर भी गंभीरता से सोचने की जरूरत है ।

घोटाले का जीता जागता सबूत है ये परित्यक्त खदानें

बहुत कम लोगों को पता होगा कि ईसीएल की ये परित्यक्त खदानें घोटाले का  सबूत दे रही है जिस पर राज्य सरकार  को संज्ञान लेना  चाहिए था । दरअसल ओसीपी (खुला कोयला खदान ) के नियम के अनुसार जब किसी भी ओसीपी में कोयला उत्पादन बंद हो जाता है तो उसे वापस मिट्टी से भर कर समतल कर दिया जाएगा । इसके लिए बकायदा फंड निर्धारित होती है , लेकिन अभी तक एक भी ऐसा ओसीपी नजर में नहीं आया है जिसका उत्पादन बंद होने के बाद उसे मिट्टी से भर कर समतल किया गया हो । इस विषय में राज्य सरकार को संज्ञान लेना चाहिए था लेकिन ऐसा भी नहीं हुआ ।

Last updated: दिसम्बर 21st, 2019 by Guljar Khan