धुएँ और गैस पर जिंदगी,,,,,, यह टॉपिक भारत कोकिंग कोल लिमिटेड पर सटीक बैठती हैँ,यह नजारा तो सिर्फ इसका एक पहलु हैँ किन्तु अगर आप जैसे जैसे इसके नजदीक जायेंगे तो मेरी बात, से आप सब लोग सहमत हो जाएंगे की मैं यह क्यों कह रहा हूँ ना कोई रोजगार सबको बेरोजगार वाली कहावत आपको यहाँ दिखाई देगी बी सी सी एल प्रबंधक आँख मुंद कर काम कर रहा हैँ और कोई भी आलाधिकारी कुछ भी नहीं कर पाते हैँ सभी जगह कामोंवेश यही हाल हैँ और इसी के इर्द गिर्द घूमती दो वक्त की रोटी का जूनून और कई लोगों का दो वक्त के भोजन और पानी का जुगाड़, किया हो गया हैँ सरकार को और किया हो गया हैँ इनके नुमाइंदे को सब चुप्पी साधे हुए हैँ और बी सी सी एल प्रबंधन मनमानी पर मनमानी करता जा रहा हैँ गैस और भूधशान तो झरिया क्षेत्र में होना आम बात हो गई हैँ आउटसोर्सीग की आड़ में बी सी सी एल प्रबंधक सब कुछ ध्वस्त करने पर तुला हुआ हैं जबकि प्रयावरण के साथ साथ झरिया की हवा और पानी भी इतनी दूषित और प्रदूषित हो चुकी है कि आम लोगों की खांसी के साथ साथ कई और भी गंभीर बीमारियां ठीक नहीं हो पा रही हैँ कौन हैं इसका जिम्मेदार और कौन लेगा इन सबकी जिम्मेदारी तो कोई भी आगे बढ़कर यह नहीं बोलने की हिम्मत कर पाता हैं कि बी सी सी एल प्रबंधक गलत काम कर रहा हैँ,मैं बात कर रहा था कि ये जो धूए और गैस की जिंदगी पर आम लोग रह रहे हैँ और अपनी जिंदगी को आग के धूए में बिलुप्त करते जा रहे हैँ किसी तरह दो वक्त की रोटी इनको नसीब हो पा रही हैँ क्यों ना सरकार या कोई भी सरकारी नुमाइन्दा इनसबो की कोई खोज खबर लेता हैँ,किया इंसान की इंसानियत ख़तम हो गई हैँ क्यों ना कोई भी आकर इन सबों की सुध लेने का काम करें वैसे एक बार अवश्य इनलोगो को नजदीक से जाकर देखने की जरुरत हैँ और अगर केवल इस आग गैस और धूए के नजदीक रहने वाले लोग सिर्फ पेट की आग के लिए मज़बूरी में रह रहे हैँ तो वाकई में इन्हे रोजगार से जोड़कर आगे इनको नया जीवन जीने के लिए प्रेरित करने की जरुरत हैँ अन्यथा बी सी सी एल तो वैसे भी कुछ नहीं करेगी क्योंकि इसका इतिहास भी आनेवाला समय में सही नहीं रहेगा क्योंकि जिस तरह से ये लोग खनिज सम्पदा का दोहन कर रहे हैँ और आसमान की बुलंदी जितना पहाड़ खड़ा कर दे रहे हैँ ना कोई देखने वाला और ना ही कोई बोलने वाला जबकि कोयला निकालकर इसको समतल करने क़ा काम भी बी सी सी एल प्रबंधक क़ा ही हैँ किन्तु किधर ये लोग सबके सब अंधेर नगरी चौपट राजा वाली कहावत को चरितार्थ करने वाली बात जैसा काम कर रहे हैँ तो किया हमसब यह मान लें की आने वाले समय में झरिया बिलुप्त हो जायेगी इसका तो अनुमान ही लगाया जा सकता हैँ बाकी जनता जान लें की आप एक गैस चैम्बर पर बैठे हुए हैँ जो की आग और गोले में तब्दील हो चूका हैँ और कब यह फट जाएगा कोई नहीं बता सकता जिंदगी हैँ आपकी आप जैसे जिए इसी कल्पना और परिकल्पना पर आप सबों की जिंदगी गुजर बशर करेगी क्योंकि सच को कभी भी झुठलाया नहीं जा सकता हैँ आनेवाले समय में मेरी बात को समझ कर आप सब लोग जान जाएंगे की मैंने यह बात क्यों कही हैँ कि जिंदगी हैँ आपकी आप चाहें जैसे जिए,,,,, अरुण कुमार लेखक सह पत्रकार मंडे मॉर्निंग न्यूज़ नेटवर्क