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धनबाद के कोयलाँचल में माँ विपदातारिणी की पूजा धुमधाम से मनाई गई

घर परिवार में सभी प्रकार के संकटों को दूर करती है बिपत्तारिणी की पूजा आराधना,

माँ बिपत्तारिणी जिसे बिपोदतारिणी या बिपदतारिणी भी कहा जाता है.एक हिंदू देवी की प्रतिक स्वरुप है.जिसकी पूजा बांग्लादेश,पश्चिम बंगाल, झारखंड,उड़ीसा, असम और आसपास के क्षेत्रों में की जाती है. देवी संकटतारणी से निकटता से जुड़ी और देवी दुर्गा के 108 अवतारों में से एक मानी जाने वाली बिपदतारिणी से परेशानियों पर काबू पाने में मदद के लिए प्रार्थना की जाती है.उनकी किंवदंतियों का वर्णन उनसे जुड़े वार्षिक उत्सव, बिपदतारिणी के दौरान किया जाता है.महिलाओं द्वारा द्वितीया से दशमी के बीच या आषाढ़ महीने में शुक्ल पक्ष के दूसरे दिन से दसवें दिन के बीच मंगलवार या शनिवार को मनाया जाता है. किंवदंतियों ने उनका नाम बिपदा – तारिणी स्थापित किया. जिसका शाब्दिक अर्थ है मुसीबतों से मुक्ति दिलाने वाली माता.बिपोदतारिणी पूजा में पूजा के दिन अधिकांश महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला उपवास जैसे कई अनुष्ठान शामिल हैं. कलाई पर लाल रंग का तागा बांधना भी महत्वपूर्ण रीति-रिवाजों में से एक है.तागा एक प्रकार का धागा है जिसे पूजा के अवसर पर विभिन्न अनुष्ठानों के माध्यम से पवित्र माना जाता है.बंगाली समाज की महिलाओं द्वारा विशेष तौर पर श्रद्धापूर्वक माँ विपदतारिणी का यह अलौकिक पर्व प्रत्येक वर्ष मनाया जाता है.ब्रत करने के एक दिन पहले, जो महिलाएं ब्रत करना चाहती हैं उन्हें केवल शाकाहारी भोजन का सेवन करने की आवश्यकता होती है. व्रत के दिन महिलाओं को व्रत जरूर रखना चाहिए.माता के व्रत के दिनों प्रातः जल्दी उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें। पूरे घर की अच्छे से साफ-सफाई करें और गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें.इसके साथ ही माता विपद तारिणी जी की पूजा करें। नैवेद्य के रूप में देवी को 13 प्रकार के फल, फूल, मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। देवी की पूजा गुड़हल के फूल से की जाती है, जो सौभाग्य लाता है व्रत करने वाली महिलाएं अपने बाएं हाथ में चौदह गांठों के साथ लाल रंग का पवित्र धागा पहनती हैं। यदि पुरुष व्रत करते हैं, तो उन्हें यह धागा दाहिने हाथ में पहनना चाहिए।इस दौरान मंदिरों में पुजारी द्वारा माँ विपदतारिणी की व्रत कथा भी सुनाई जाती है.प्रचलित मान्यता यह भी है कि जो लोग ब्रत का पालन करते हैं उन्हें देवी बिपत्तरिणी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और वे परिवार को सभी प्रकार के संकटों से बचाने में सक्षम हो जाते हैँ, माँ विपदातारिणी सभी लोगों को एक समान आशीर्वाद देती है माँ की महिमा अपरमपार हैँ

Last updated: जून 25th, 2023 by Arun Kumar