मेयर की कुर्सी पर नहीं हो पा रहा फैसला , पर्दे के पीछे घमासान
दुर्गापुर: नगर निगम चुनाव के मतगणना के 15 दिन बीत जाने के बाद भी मेयर कौन बनेगा इस पर अभी तक आम सहमति नहीं बन पायी है।
13 अगस्त को चुनाव हुआ और 17 अगस्त को नतीजे आ गए ।
सभी 42 सीटें तृणमूल ने अपनी झोली में डाल ली।
उसमें से एक सीट(17 नंबर वार्ड) तो निर्विरोध पहले ही जीत चुके थे।
अटकलों का बाजार गर्म है
आम लोगों में मेयर पद को लेकर काफी चर्चा है।
लोग साफ-सुथरी छवि वाले व्यक्ति को मेयर पद पर देखना चाहते हैं ।
कुछ लोग एक महिला को भी मेयर के रूप में देखना चाहते हैं।
नेतागण कुछ और चाहते हैं
आम राय के विपरीत तृणमूल पार्टी के नेतागण अपने हिसाब से मेयर का चयन करना चाहते हैं।
अंदरूनी गुटबाजी चरम सीमा पर
दुर्गापुर तृणमूल कांग्रेस कई खेमे में बंटा है।
हर खेमा चाहता है कि उसका नेता ही मेयर बने।
चुनाव पर्यवेक्षकों का भी अपना दबाव है
दुर्गापुर नगर निगम के चुनाव में जिन बड़े नेताओं ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी वे भी अपने पसंद के व्यक्ति को मेयर बनाना चाह रहे हैं।
तीन चेहरे उभर का आ रहे हैं सामने
अनिंदिता मुखर्जी
अटकलों के मुताबिक पूर्व मेयर अपूर्व मुखर्जी की पत्नी दौड़ में सबसे आगे है।
पूर्व मेयर की पत्नी होना उनके पक्ष में जाता है ।
इसके अलावा को काला और संस्कृति जगत से भी जुड़ी हैं और दुर्गापुर क्षेत्र में काफी पहचान है।
इससे पहले वो पार्षद भी रह चुकी है इसलिए कामकाज का अनुभव भी है।
गौरतलब है कि पूर्व मेयर अपूर्व मुखर्जी ने इस चुनाव से स्वयं को बाहर रखा।
ऐसे में अनिंदिता मुखर्जी की दावेदारी और मजबूत हो जाती है।
अपनी पत्नी के जरिये ही सही लेकिन सत्ता पर कब्जा बनाए रखने में कामयाब रहेंगे पूर्व मेयर।
पवित्र चटर्जी
अटकलों के मुताबिक पहली बार पार्षद बने पवित्र चटर्जी दौड़ में दूसरे नंबर पर हैं।
वे पहले कांग्रेस में थे और चुनाव से पहले ही तृणमूल में शामिल हुये थे।
पेशे से व्यवसायी हैं।
दिलीप अगस्ती
तीसरे नंबर पर दिलीप अगस्ती का नाम सामने आ रहा है।
वे सेवानिवृत अधिकारी हैं और वाम जमाने में सत्ता में काफी पैठ थी ।
पहली बार पार्षद बने हैं , राजनीतिक अनुभव नहीं हैं।
नेतृत्व शून्यता के दौर से गुजर रहा दुर्गापुर तृणमूल
ये तो हुयी अटकलों की बात, जिस मुहर लगना अभी बाकी है
मूल बात जो सामने आ रही है वह यह कि दुर्गापुर के गुटों को एकसूत्र में पिरोने वाला कोई नेता उभर कर सामने नहीं आया।
चुनाव के दौरान भी बाहरी नेता ही छाए रहे। कोई पार्षद या दुर्गापुर का नेतृत्व उभर कर सामने नहीं आ पाया है।
ऐसे में फिलहाल दुर्गापुर एक नेतृत्व शून्यता के दौर से गुजर रहा है।
कोई नया नाम भी उभर कर सामने आ सकता है
आसनसोल नगर निगम के तरह ही दुर्गापुर नगर निगम में भी कोई नया नाम मेयर के लिए आ सकता है।
आसनसोल में ममता बनर्जी का प्रयोग काफी सफल रहा।
भाजपा कि ओर झुक रहे आसनसोल को जितेंद्र तिवारी ने तृणमूल कि ओर मोड़ दिया।
अब देखना है कि दुर्गापुर में भी मुख्य मंत्री कोई नया प्रयोग करती हैं या गुटीय दबाव ही हावी रहेगा।
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