धार्मिक सौहार्द्य की एक मिशाल
मधुपुर -शहर में गंगा-जमुनी संस्कृति की तहजीब वर्षों से चली आ रही है । झील तालाब के पास हिंदू कर्मकांड गृह इस का जीता जागता उदाहरण है । हिंदू धर्मावलंबी अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति व तृप्ति के लिए श्राद्ध कर्म करते हैं । कर्मकांड गृह निर्माण के लिए वर्ष 1934 में रैयत बकरीदन मियाँ ने अपनी निजी जमीन दान में दिया था। समाजसेवी लक्ष्मीनारायण वर्मन और दिवंगत रामनिरंजन गुटगुटिया ने स्थानीय लोगों के जन सहयोग से वर्ष 2004 में कर्मकांड गृह का नव निर्माण कराया ।13 वर्ष में ही यह भवन पर संकट का बादल मंडराने लगा है ।
यह भवन कभी भी ध्वस्त हो सकता है
जर्जर कर्मकांड भवन जीर्णोद्धार को लेकर विगत कई वर्षों से आवाज उठा रही है। झारखंड बंगाली समिति मधुपुर शाखा के सचिव विद्रोह मित्रा कहते हैं इसकी ओर किसी का ध्यान नहीं है प्राचीन कर्मकांड गृह मौत को आमंत्रण दे रहा है। कर्मकांड गृह से सटाकर तालाब खोदा गया है। यह भवन कभी भी ध्वस्त हो सकता है ।
इसका जीर्णोद्धार होना जरूरी है
भाजपा नेता अधीर चंद्र भैया ने कहा मधुपुर शहर के विभिन्न वार्ड के लोग झील तालाब स्थित कर्मकांड के लिए आते हैं ।इसका जीर्णोद्धार होना जरूरी है ।आकाश गुटगुटिया कहते हैं मधुपुर का यह कर्मकांड गृह सद्भावना का प्रतीक है ।यह शहरवासियों की धरोहर है ।इसका विकास होना चाहिए ।नगर परिषद के उपाध्यक्ष मोहम्मद जियाउल हक कहते हैं झील तालाब कर्मकांड गृह के संबंध में बोर्ड की बैठक में बात रखी जाएगी ।शहर के पुराने धरोहरो का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण नगर परिषद कराएगी।