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गौ माता पर तरस क्यों नहीं आ रही है गौ-रक्षकों को

मवेशियों का झुंड सड़क पर बैठने से दुर्घटना की आशंका

आसनसोल (प0 बंगाल) : शहर के व्यस्ततम मार्ग जीटी रोड पर नियामतपुर से लेकर फतेहपुर तक के लोग इन दिनों एक अलग समस्या से गुजर रहे हैं।

जानवरों के बीच सड़क पर बैठने से लोग बहुत परेशान है।

वही इससे आए दिन लोग दुर्घटना का शिकार हो रहे है.

बरसात के दिनों मेन बढ़ गयी है मुश्किल

सड़कों पर बरसात के चलते मवेशियों का झुंड आए दिन दिखने लगा है.

बारिश के मौसम के चलते मवेशी सड़क के किनारे न बैठकर सड़क पर अतिक्रमण कर बैठे रहते हैं।

जिससे दुर्घटना की आशंका बनी रहती है.

मवेशियों के कारण कई बार दुर्घटनाएं भी हो चुकी है.

लोग बताते हैं आप बीती

कई लोगो ने इस पर अपनी आप बीती बताते हुये कहा कि पशुयें अचानक से सड़क पर आ जाती है जिससे कई बार दुर्घटना होने से बचे है.

जब सड़क पर होगी गौ माता तो कैसे होगी उनकी रक्षा

उल्लेखीय है कि एक तरफ गोमाता की रक्षा के लिये गौ-रक्षक ने पूरे देश में अभियान चलाया जा रहा है,

वहीं दूसरी तरफ शहर की सड़क पर ये गौ माता बेआसरा हो कर जहां-तहां भटकती रहती हैं और इनकी सुध लेने वाला कोई नहीं.

ऐसा नहीं है कि शहर में गौ माता की रक्षा के लिये आवाज उठाने वाले नहीं हैं ।

लेकिन इन गौ माता को देखने और रखरखाव की यहां कोई व्यवस्था नहीं की गयी है.

सब्जी मंडियों के आस-पास अधिक दिखाई देती है

क्षेत्र में सब्जी बेचने के लिये स्थान चिह्नित नहीं होने के कारण सब्जी की दुकानें मुख्य सड़क पर ही लगा करती हैं.

इन्हीं सब्जी दुकानों के आसपास ये गायें मंडराती रहती हैं.

सड़ी-गली सब्जी पर ही ये गायें भोजन के लिए निर्भर हैं.

कष्टपूर्ण जीवन जीती हैं ये गायें

दुखद है कि पॉलीथिन भी खाते रहने के कारण इन गायों की मौत बड़ी दर्दनाक होती है.

वहीं कभी किसी दुकान पर मौजूद सब्जी में मुंह लगा देने पर सब्जी वाले और ग्राहक इन्हें भगाते रहते हैं.

विडंबना है कि इस ओर न गोरक्षा के पैरोकार का ध्यान गया है न ही प्रशासन का.

केवल शहर की सड़कों पर पांच दर्जन से अधिक पशु इधर उधर घूमते रहते हैं.

रात में भी इन गायों का ठिकाना सड़क ही होता है.

रात होते ही जगह-जगह पर एक साथ गोलबंद होकर इन गायों को बैठे अक्सर देखा जा सकता है.

दिन निकलते ही भोजन की तलाश इन्हें बाजार की ओर खींच लाती है.

वहीं कुछ गायें कूड़े-कचरे की ढेर में पॉलिथीन में रखी खाद्य सामग्री को पॉलीथिन सहित खा लेती हैं.

दुर्घटना कि शिकार हो जाती है ये गायें

सड़क पर जहां तहां बैठने के कारण सड़क पर लोगों को गुजरने में काफी परेशानी होती है.

कभी-कभी गाड़ी से गायों को धक्का भी लग जाता है जिसमें ये घायल हो जाती हैं.

ऐसी स्थिति में जब संक्रमण बढ़ जाता है तो इनकी मौत भी हो जाती है.

वहीं अक्सर ये गायें आपस में ही उलझ जाती हैं और इसके कारण लोग जख्मी हो जाते हैं.

हर मौसम की मार झेलने को मजबूर होती है

सड़क पर रहने वाली ये गायें हर मौसम का मार झेलती हैं.

सर्दी, गरमी हो या बरसात, इन गायों के नसीब में छत नहीं है.

किसी खाली दुकान के शेड के नीचे या फिर बरसात में भींगते रहना इनकी नियती है.

पशुपालक जान-बूझकर गायों को सड़कों पर छोड़ देते हैं

खास बात यह है कि सड़क पर घूमने वाली ये सभी गायें लावारिस नहीं हैं.

कुछ पशुपालक अपनी गायों को जानबूझ कर खुला छोड़ देते हैं.

ऐसे लोगों के खिलाफ आंदोलन क्यों नहीं करते हैं गौ-रक्षक ।

गायों को हिंदू धर्म में पवित्र माना गया है.

फिर भी गौ माता उसे सड़कों पर आवारा जिंदगी जीने के लिए छोड़ देते हैं ।

Last updated: सितम्बर 4th, 2017 by Pankaj Chandravancee