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जांच एजेंसियों को कंप्यूटर जांच का अधिकार निजता का उल्लंघन : कांग्रेस

कॉंग्रेस मुख्यालय मेन पत्रकारों को संबोधित करते हुये कांग्रेस नेता जयवीर शेरगिल

जाँच एजेंसियों को कंप्यूटर की छान-बीन करने के अधिकार देने के सरकार के आदेश के खिलाफ आज कांग्रेस मुख्यालय में जयवीर शेरगिल ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हिंदी की एक कहावत है कि ‘कीजिए ना बैठकर बातचीत, दस हजार जगह पहुँचेगी, दसों की ये बातचीत’। तीन राज्यों में कांग्रेस की जीत के बाद अब भाजपा राजनीतिक हताशा में घर-घर की निजी बातचीत सुनना चाहती है, लगता है कि ‘भाजपा को पची नहीं हार और इसलिए किया इस देश के नागरिकों की निजता के अधिकार पर वार’।

ये सरकार की तानाशाही है

उन्होंने कहा कि आज एक तानाशाही सरकार का एक तुगलकी फरमान आया है किसरकार कमिश्नर ऑफ पुलिस सहित 10 जाँच एजेंसियों को ये हक देती है कि वो कोई भी कम्प्यूटर, इंटरसेप्ट, मॉनिटर और डिक्रिप्ट कर सकते हैं और जो जानकारी जो उस कम्प्यूटर में है, जो जनरेट होती है, ट्रांसमिट होती है, रिसीव होती है और जो स्टोर होती है, उसको ये 10 एजेंसियाँ कभी भी, किसी भी वक्त इंटरसेप्ट कर सकती हैं।

अब प्रश्न है नीयत का कि यह आदेश क्यों आया है। साढ़े चार साल से इस देश की जनता ने देखा, खैर मोदी सरकार का, मोदी जी का तो बतौर मुख्यमंत्री पहले का भी ट्रैक रिकॉर्ड है कि उनको तांक-झांक करने की ओर जासूसी करने की लत लग चुकी है। ये वो मोदी सरकार है जो, ना संविधान में विश्वास रखती है, ना राइट टू प्राइवेसी में विश्वास रखती है, ना सुप्रीम कोर्ट के निर्णय में विश्वास रखती है और ना लोकतंत्र में विश्वास रखती है। तो ये जो आज एक होम मिनिस्ट्री का आदेश आया है, ये लोकतंत्र को मोदी तंत्र बनाने का हथकंडा और हथियार है।

आगे उन्होंने कहा कि ये जो आदेश आया है, ये असंवैधानिक है, गैर कानूनी है, इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट 2000 जिसके तहत इसको जारी किया गया है, ये उसके अनुसार भी नहीं है और सुप्रीम कोर्ट की 9 जजों की जो जजमेंट, जो राइट टू प्राइवेसी के मामले में आई थी, उसकी भी इस आदेश ने धज्जियाँ उड़ा दी। होम मिनिस्ट्री का यह आदेश कानून के तहत जनहित में नहीं, सिर्फ मोदी जी के हित में जारी किया गया है। ये आदेश देश की अखण्डता, सुरक्षा और कोई खतरे से बचने के लिए नहीं किया गया, ये आदेश मोदी सरकार को वोट की चोट के खतरे से बचाने के लिए किया है। तीन राज्यों के जो चुनाव हुए हैं, उसकी हार से बौखला कर 2019 में जो भाजपा का कमल का फूल मुरझाने वाला है और कांग्रेस के विकास का परचम लहराने वाला है, उससे घबरा कर वोट के चोट के खतरे से बचने के लिए ये आदेश जारी किया गया है, क्योंकि अभी तक भाजपा सरकार ने कोई सफाई नहीं दी कि ये आदेश क्यों जारी किया गया है, क्या ऐसी बात हो गई कि 10 ऐजेंसी 125 करोड़ से अधिक देश की जनता के कम्प्यूटर पर बैठ कर जासूसी कर सकती हैं?

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन

उन्होंने कहा कि ये आदेश एक पेज का है जबकि सुप्रीम कोर्ट की 547 पेज की जजमेंट है। आज इस एक पेज के आदेश ने सुप्रीम कोर्ट के 547 पेज की जजमेंट, राइट टू प्राइवेसी वाली जजमेंट की धज्जियाँ उड़ा दी और कुचल दिया। 547 पेज की जजमेंट में सुप्रीम कोर्ट के 9 न्यायाधीशों ने राइट टू प्राइवेसी का अधिकार आर्टिकल 21 संविधान के अनुसार हर देशवासी के हाथ में थमा दिया और इस आदेश के तहत दिया हुआ अधिकार, हर देशवासी का जो अधिकार संवैधानिक अधिकार था, होम मिनिस्ट्री ने उसको छीन लिया और कुचल दिया और जाँच एजेंसियों को एक खुली जासूसी करने का अधिकार दे दिया।

देशवासियों को ये याद दिलाना बहुत अहम है कि इन 547 पेज में क्या लिखा गया था। पहली बात, राइट टू प्राइवेसी, जो आपके जीने का अधिकार आर्टिकल 21 संविधान का है, उसका एक अहम हिस्सा है। अगर निजता का अधिकार मनुष्य के पास नहीं है तो मनुष्य और जानवर में कोई अंतर नहीं रह जाता, ये सुप्रीम कोर्ट ने लिखा है। दूसरा, 9 के 9 जजिस ने एक बात दोहराई थी कि ये इस सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट से हम सरकार के बीच और जनता के बीच एक संवैधानिक दीवार खड़ी कर रहे हैं, ताकि जनता की जो निजी जिंदगी है, सरकार उस दीवार को लांघ कर, ऊपर चढ़कर या झांक कर ना देख पाए और आज इस आदेश ने इस सुप्रीम कोर्ट की जजमेंट की जो अहम बातें थीं, उसको दर किनारे करते हुए ये असंवैधानिक बात, ये निर्णय लिया है।

नरेंद्र मोदी से चार सवाल

आपको याद होगा कि हाल ही में सोशल कम्यूनिकेशन, सोशल मीडिया कम्यूनिकेशन हब बनाने की चर्चा थी, जब मीडिया का दबाव आया, जनता में आक्रोश आया तब उस निर्णय को वापस लेना पड़ा। तो भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की दो स्पष्ट मांगें और दो प्रश्न है।

पहला प्रश्न, मोदी सरकार ये स्पष्ट करे कि वो कौन सा जनहित है, जिसमें ये तानाशाही तुगलकी फरमान जारी किया है, जो मेरी निजता के अधिकार को पूरी तरह कुचलता है? दूसरा, क्या मोदी सरकार को इस देश के मतदाताओं से घबराहट हो रही है, डर लग रहा है कि उन्होंने ऐसा आदेश जारी किया है? तीसरा, क्या ये आदेश मोदी हित में जारी हुआ है कि जनहित में जारी हुआ है? चौथा अहम प्रश्न, क्या अब हिंदुस्तान एक पुलिस स्टेट बन गया है, एक सर्विलेंस स्टेट बन गया है?

कांग्रेस कि मांग ये है कि ये गैर-कानूनी आदेश जल्द से जल्द वापस लिया जाए और जनता को सफाई दी जाए कि ये आदेश क्यों जारी किया गया।

भाजपा ने आरोपों को नकारा

भाजपा के वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कांग्रेस के इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया और कहा कि यह आदेश पहले से काम कर रही जाँच एजेंसियों को दिया गया है जो राष्ट्रहित से जुड़े मामले के दौरान अपने इन अधिकारों का इस्तेमाल कर सकती है और यह कानून पहले से ही है केवल उसमें संसोधन किया गया है।


रिजवान राजा, ब्यूरो (नयी दिल्ली)

Last updated: दिसम्बर 21st, 2018 by Central Desk - Monday Morning News Network