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चिरेका निजीकरण के खिलाफ श्रमिकों का एकदिवसीय भूख हड़ताल

सालानपुर/चित्तरंजन। केन्द्र सरकार व रेलवे बोर्ड के सात प्रोडक्शन युनिट को निजीकरण करने के संयत्र को लेकर मंगलवार को चिरेका ज्वाइंट एक्शन कमिटी के सदस्यों ने महाप्रबंधक कार्यालय गेट के समक्ष एक दिवसीय भूख हड़ताल कर विरोध जताया।

पिछले कई दिनों से चिरेका के सभी श्रमिक यूनियन एक जुट होकर कर लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे है। महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष मुख्य द्वार पर काला झंडा लगा कर संयुक्त रूप चिरेका के सभी यूनियनों के हजारों कार्यकर्ता जमा हुए। इस दौरान चिरेका ज्वाइंट एक्शन कमिटी के दर्जनों सदस्यों ने एक दिवसीय भूख हड़ताल किया।

मौके पर सेवानिवृत कर्मचारी एसोसिएशन के नेता निर्मल मुखर्जी ने रेलवे श्रमिकों को संबोधित करते हुए कहा कि केन्द्र सरकार व रेलवे बोर्ड के द्वारा सात प्रोडक्शन युनिट को निजी करन करने के साजिस को नाकाम करने के लिए हम सभी एक जुट है। किसी भी हाल में हम सभी मिल कर इस तरह के फैसले को रेलवे कर्मी पूरा होने नहीं देंगें।

कहा कि इससे पूर्व के दिनों में यूनियनों के सदस्यों ने एकजुुटता दिखाते हुए आंदोलन किया। आज भूख हड़ताल एक दिवसीय है जिसमें विभिन्न यूनियन के दर्जनों नेता व कार्यकर्ता भूखे पेट रहकर सरकार के फैसले का विरोध किया है। आने वाला दिनों आंदोलन और भी उग्र किया जायेगा। सरकार जब तक रेलवे श्रमिकों के हित में कदम नहीं उठायेगी तब तक आन्दोलन जारी रहेगी ।

इस दौरान भूख हड़ताल मंच पर आरएमयु, लेबर यूनियन, कर्मचारी संघ, आईएनटीयुसी, मजदूर यूनियन, एससी एसटी एसोसिएशन, एनएफआईआर, आईआरटीएसए, ओवीसी एसोसिएशन, सुपरवाईजर एसोसिएशन, टीचर्स एसोसिएशन, आरईयु सहित चिरेका ज्वाइंट एक्शन कमिटी के भारी संख्या में सदस्य मौजूद दखे गये।

एक सुर में सभी यूनियन के सदस्यों ने कहा कि चिरेका को हमने अपने खून पसीने से सींचने का कार्य किया। हम श्रमिकों के कारण चिरेका देश दुनिया में अपना परचम लहरा रहा है। चिरेका के श्रमिक इमानदारी से अपना काम करते आ रहे है। ऐसे में केन्द्र सरकार व रेलवे बोर्ड का निजी करण करने के फरमान श्रमिक विरोधी है।

भूख हड़ताल के दौरान सत्यनारायण मंडल, नेपाल चक्रवर्ती, एसके लाहा, पी के बंधोपाध्याय, विनोद ठाकुर, सुभाष चटर्जी, एससी ब्रहमों, इंद्रजीत सिंह, गुलाब यादव, आशीष मुखर्जी सहित यूनियन के कार्यकर्ता सहित अन्य लोग मौजूद थे।

Last updated: अगस्त 20th, 2019 by Guljar Khan