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चीनी लॉंगवाल पद्दति से कोयला उत्पादन शुरू करने की तैयारी

ईसीएल

चीन एक विकसित राष्ट्र होने के साथ कोयला उत्पादन में भी अव्वल है। कोयला खदानों में नयी तकनीक का प्रयोग करने में भी चीन आगे निकल रहा है। ईसीएल के पीके त्रिपाठी समेत दो और कोलइंडिया के दस सदस्यी टीम के साथ कन्टीन्यूर माइंस का परीक्षण लेने चीन गये। पांडेश्वर क्षेत्र के विद्युत और यांत्रिक अभियंता दीपक कुमार सिन्हा ने परीक्षण लेकर लौटने के बाद एक भेंट में उक्त बातें कही।

उन्होंने चीन को विकासशील देश बताते हुए कहा कि हेनान पोलटेक्निक विश्विद्यालय में दस दिवसीय परीक्षण कार्यकम में यूरोप चीन समेत भारत और अन्य देशों की अधिकारियों को परीक्षण दिया गया। जिसमें चीनी लोगवाल पद्दति से कंटिनियुर माइंस के माध्यम से ज्यादा कोयला उत्पादन करने का परीक्षण दिया गया ।उन्होंने जेगवाक माइंस में भी गये और कार्य करने की तरीके को देखा चीन में सबसे ज्यादा 7 हजार भूमिगत खदाने है जो 500 मीटर से 1500 मीटर तक गहरी है।

भूमिगत खदानों ने 85 फीसदी कोयला का उत्पादन होता है जबकि मात्र 950 खुली खदानों से 15 फीसदी ही कोयला उत्पादन होता है । चीन की बुलेट ट्रेन की रफ्तार 350 किलोमीटर प्रतिघंटा बताते हुए कहा कि साफ सफाई के साथ चीन में सुविधाओं की कमी नहीं है। अभियंता ने कहा कि चीनी लॉंगवाल पद्दति से कोयला उत्पादन शुरू हो जाने से पांडेश्वर क्षेत्र का भविष्य सुधर जाएगा और अब खुट्टाडीह कोलियरी इसके लिये तैयार है ।कागजी प्रक्रिया अंतिम दौर में है और लॉंगवाल पद्दति का गुर भी सिख लिया गया है।

Last updated: नवम्बर 25th, 2018 by Pandaweshwar Correspondent