शक्ति की उपासना का पर्व चैत्र नवरात्रि 13 अप्रैल से शुरू होने वाले हैं। यह 22 अप्रैल तक चलेंगे. नवरात्रि के साथ ही हिन्दू नववर्ष की शुरूआत भी होगी। माँ दुर्गा को शक्ति का स्वरूप माना जाता है। नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की पूजा अर्चना के साथ ही व्रत भी किए जाते हैं। नवरात्रि का पहला दिन घटस्थापना से शुरू होता है।
प्रथम नवरात्रि में माँ शैलपुत्री, द्वितीय में माँ ब्रहाचारिणी, तृतीय में माँ चन्द्रघण्टा, चतुर्थ में कूष्माण्डा, पंचम में माँ स्कन्दमाता, षष्ठ में माँ कात्यायनी, सप्तम, माँ कालरात्रि, अष्टम में माँ महागौरी, नवम् में माँ सिद्धिदात्री का पूजन किया जाता है। इस वर्ष आप नवरात्रा करना चाहते है,तो सबसे पहले घर की सफाई करें। माता लक्ष्मी उसी घर में प्रवेश करती हैं जहाँ साफ-सफाई होती है। घर की सफाई जरूर करें। स्वास्तिक के निशान को किसी भी शुभ कार्य से पहले बनाना अच्छा माना जाता है। ऐसे में नवरात्रि के पहले दिन घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक का निशान बनाएं। पंडितों के अनुसार इस नवरात्रि माँ दुर्गा का आगमन घोड़े पर हो रहा है। जबकि प्रस्थान नर वाहन (मानव कंधे) पर होगा।
कलश स्थापना मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि 12 अप्रैल को प्रातः 8 बजे से शुरू होकर 13 अप्रैल को प्रातः 10: 16 पर समाप्त हो रही है कलश स्थापना 13 अप्रैल को प्रातः 5:45 बजे से प्रातः 9:59 तक और अभिजीत मुहूर्त पूर्वाह्न 11: 41 से 12:32 तक है.