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सीतारामपुर -हिन्दू धर्म में चैत्र मास धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से कुछ ज्यादा ही महत्त्व रखता है, क्योंकि फाल्गुन और चैत्र ये दो मास प्रकृति के बहुत ही खूबसूरत और मनमोहक महिना माना जाता है. भारत की छह ऋतुओं में से ऋतुराज मानी जाने वाली बसंत ऋतु इन्हीं दो महीनों की होती है. इसलिये इन महीनों में प्रकृति भी खिलखिलाती और चहकती हुई सी दिखती है. प्राणियों में भी एक नई ऊर्जा, उत्साह व उल्लास का संचार होता है. इस महीने की महत्ता के बारे में सीतारामपुर रामजानकी शिव मंदिर के प्रख्यात ज्योतिषाचार्य डॉ.सदाशिव दिवेदी ने बताया कि फाल्गुन हिंदू वर्ष का अंतिम मास होता है, इसके फ़ौरन बाद ही चैत्र का महीना लगता है और इसी महीने से हिंदू नववर्ष आरम्भ होता है,जिसे संवत्सर भी कहा जाता है. उन्होंने बताया कि हिंदू वर्ष का पहला मास होने के कारण चैत्र की धार्मिक महता कई गुना बढ़ जाती है, क्योंकि अनेक पावन पर्व इस महीने में मनाये जाते हैं, चैत्र मास की पूर्णिमा चित्रा नक्षत्र में होती है इसी कारण इस महीने का नाम चैत्र पड़ा है.
चैत्र मास में श्रृष्टि की रचना प्रारम्भ हुई
मान्यता है कि सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रह्मा ने चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा से ही सृष्टि की रचना आरंभ की थी, वहीं सतयुग की शुरूआत भी चैत्र माह से मानी जाती है. ज्योतिषाचार्य डॉ.द्रिवेदी ने बताया कि पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी महीने की प्रतिपदा को भगवान विष्णु के दसावतारों में से पहले अवतार मतस्यावतार अवतरित हुए एवं जल प्रलय के बीच घिरे मनु को सुरक्षित स्थल पर पंहुचाया था. जिनसे प्रलय के पश्चात नई सृष्टि का आरंभ हुआ. चैत्र नवरात्री पर डॉ.द्रिवेदी ने बताया कि नवरात्रि के ये नौ दिन बेहद शुभ होते हैं. इस समय में किया गया कोई भी शुभ कार्य बेहद फलदायक होता है. ज्योतिषाचार्य डॉ,द्रिवेदी के अनुसार नवरात्रि पर कुछ उपाय करने से मां भगवती की कृपा होती है, कुंडली में कोई बड़ा दोष हो तो उसे शांत करने के लिए नवरात्रि के दौरान पड़ने वाले मंगलवार या शनिवार को हनुमान जी को पीले सिन्दूर को चमेली के तेल के साथ मिलाकर चोला चढ़ाये, इसके साथ लाल गुलाब भी भेंट करें, ऐसा करने से कुंडली के दुष्प्रभाव समाप्त होते हैं.
देवी शक्ति की 9 रूपों में होती आराधना
नवरात्री में माँ भगवती के सभी 9 रूपों की पूजा भिन्न–भिन्न दिन की जाती है जिसमें माँ शैलपुत्री, माँ ब्रह्मचारिणी, माँ चंद्रघंटा, माँ कुष्मांडा, माँ स्कंदमाता, माँ कात्यायनी, माँ कालरात्रि, माँ महागौरी, माँ दुर्गा शामिल है, 18 मार्च से शुरू होकर 26 मार्च को नवरात्री समाप्त होगी, जहाँ 25 को रामनवमी एवं 26 को नवरात्री पारण की जाएगी. डॉ.द्रिवेदी ने बताया कि नवरात्रि हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले पवित्र पर्वों में से एक है जिसे बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. नौ दिनों तक चलने वाला नवरात्रि पर्व देवी शक्ति को समर्पित है, इस वर्ष चैत्र नवरात्रि 18 मार्च से प्रारंभ होकर 26 मार्च को खत्म होगी. उन्होंने बताया कि हिन्दू पंचांग के अनुसार वर्ष में कुल 4 नवरात्रियाँ आती है, जिनमे से दो मुख्य रूप से चैत्र एवं शारदीय नवरात्री मनाई जाती है और दो का गुप्त रूप से पालन किया जाता है. मुख्यरूप से मनाया जाने वाली नवरात्र पर्व को देवी शक्ति की उत्पत्ति के रूप में मनाया जाता है. मान्यता है कि दैत्यों का संहार करने के लिए माता शक्ति ने नव रूप धारण किये थे, जिसके कारण नवरात्र पर्व को मनाया जाता है.
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