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स्वर्गीय जनाब सलाम कैफी की याद में महफिल का आयोजन

आदबी हो सफाकति अंजुमन तहरीक मधुपुर के बैनर तले संथाल परगना झारखंड के बुजुर्ग उस्ताद शायर और अंजुमन तहरीक उर्दू अदब के लाइफ टाइम अध्यक्ष स्वर्गीय जनाब सलाम कैफी साहब जिनका मृत्यु 13 फरवरी 2020 को हो गया था।

उसी के सिलसिले में स्वर्गीय की याद में मधुपुर लखना मोहल्ला स्थित अख्तर मधुपुरी उर्दू मेमोरियल लाइब्रेरी में एक महफिल का आयोजन किया गया। जिसमें पहली दौर में स्वर्गीय सलाम कैफी साहब के शख्सियत के हवाले से लोगों ने रौशनी डाली अपने-अपने बातों का इजहार किया। और दूसरे में मुकामी सोहराय कलाम और कवियों ने अपने अपने शायरी अंदाजा में स्वर्गीय को खराजे अकिदत् पेश किए।

महफिल की अध्यक्षता अल्लामा मरहूम अख्तर मधुपुरी के साहबजादे मशहूर शायर शकील अख्तर अयूबी ने किया और मंच का संचालन नौजवान शायर कैसर जिया कैसर ने खूबसूरत अंदाज में पेश किया। इस मौके पर हिंदी के मशहूर साहित्यकार कवि उत्तम कुमार पीयूष ने अपने अंदाज में स्वर्गीय कैफी साहब की शख्सियत पर रौशनी डाली केफी साहब के कलाम में नए और पुराने रंग का अच्छा मिजाज मिलता है।

स्वर्गीय की शख्सियत का उर्दू अदब के को काफी खरसारा हुआ है शायर में जनाब कैफी साहब के जाने से बहुत बड़ा नुकसान हुआ । मैं कैफी साहब साहब का हमेशा वह शेर गुनगुनाते रहता हूँ जो मुझे काफी पसंद है जैसे उदासियों का समंदर पुकारता है मुझे ۔ कहीं भी जाऊँ मेरा घर पुकारता है मुझे۔ मैं बचके तेरे खयालों से जब गुजरता हूँ۔ करीब या कोई आकर कोई आकर पुकारता है।

मुझे۔ तेरे इसके बाद बारी बारी से लोगों ने शायर मरहूम कैफी की शख्सियत पर रौशनी अपने-अपने अंदाज में पेश किया। इबरार तबिंदा ने कहा एक शेरू सुखन जाद थे कैफी साहब۔ इस फील्ड में उस्ताद थे कैफ़ी साहब۔ अजीम शादाब ने कहा कहा ने कहा कहा۔ जिस दम खबर मिली मुझे उनकी व साल की की व साल की की۔ जा गुलश किस कदर थी मौके पर कई सायर और कवि मौजूद थे।

Last updated: फ़रवरी 22nd, 2020 by Ram Jha