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बस चालकों से बिहार, झारखण्ड , यूपी में दुर्व्यवहार के बाद बंद हुई बस , सीमा पर फंसे प्रवासी मज़दूर परेशान

पश्चिम बंगाल सरकार की पहल और सकारात्मक कदम के बाद पश्चिम बंगाल के विभिन्न जिलों में लॉकडाउन में फंसे  बिहार, जहारखण्ड एवं उत्तर प्रदेश के प्रवासी मज़दूरों को डीबुडीह चेकपोस्ट से उनके राज्य तक पहुँचाने का सिलसिला विगत दो दिनों से बंद हो जाने के कारण डीबुडीह चेकपोस्ट झारखंड बंगाल सीमा पर प्रवासी मज़दूरों को इन दिनों भारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

मंगलवार की देर रात मोतिहारी, बलिया, छपरा के दर्जनों प्रवासी मज़दूर डीबुडीह चेकपोस्ट पर बंगाल एवं झारखंड पुलिस से घर भेजने की फरियाद करते दिखे, किन्तु बॉर्डर पर स्थित अधिकारियों ने इन मज़दूरों की एक भी नहीं सुनी।

अपने लोगों को आने देना नहीं चाहते हैं बिहार , झारखंड , यूपी की प्रसाशन

मामले को लेकर पश्चिम बंगाल एसबीएसटीसी स्टेट बस चालक गुरशरण सिंह ने बताया कि डीबुडीह चेकपोस्ट से बिहार,झारखंड और उत्तर प्रदेश के लिए प्रतिदिन दर्जनों बस से मज़दूर भेजी जा रही थी। किन्तु अन्य राज्य के पुलिस प्रशासन हमलोगों को सहयोग नहीं कर रहें है। बल्कि उनके राज्य के प्रशासन भी नहीं चाहते है कि बंगाल से मज़दूर लौटे।

बिहार,झारखंड उत्तर प्रदेश भेजे जा रहे मज़दूरों की फाइल फोटो


बस चालकों को पीटा गया , कई बस वापस नहीं लौटे हैं और न हो रहा संपर्क

उन्होंने कहा कि बिहार गए स्टेट बस चालकों को बिहार पुलिस द्वारा बुरी तरह से पीटा गया है। जबकि कुछ मज़दूर बस को बिहार से जबरन लखनऊ ले जाना चाहते थे। विरोध करने पर मज़दूरों द्वारा भी बस चालकों की पिटाई की गई है। कुछ बस अभी तक लौट कर वापस नहीं पहुँची है और ना ही संपर्क हो पा रही है।

उन्होंने बताया कि मामले की जानकारी एसबीएसटीसी के वरीय अधिकारियों को दे दी गयी है। कोई भी बस चालक दूसरे राज्य जाने में भय कर रहें है। उन्होंने कहा किसी भी हाल में चालक अब बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश नहीं जाएँगे, ऊपरोक्त राज्यों को बसों को प्रोटोकॉल के तहत और पुलिस सुरक्षा के बीच परिचालन कराना चाहिए था।

अन्य बस चालकों ने कहा कि दूसरे राज्य के सरकारों को अपने मज़दूरों को वापस लाने के लिए बस भेजनी चाहिए थी। ऐसे में अगर बंगाल सरकार ने बड़ा दिल दिखाते हुए मज़दूरों को बस उपलब्ध कराया है तो फिर चालकों के साथ दुर्व्यवहार क्यों?  पूरे प्रकरण में अब डीबुडीह चेकपोस्ट पर घर लौटने के लिए प्रवासी मज़दूरों की हुजूम उमड़ने लगी है।  ऐसे में राज्यों की आपसी समन्वय अगर जल्द ही स्थापित नहीं होती है तो हालात और भी भयावह हो सकती है।

मामले को लेकर डीसीपी(वेस्ट)अनामित्रा दास से पूछने पर उन्होंने कहा कि बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश राज्य अपने मज़दूरों को स्वीकार नहीं कर रहें है। ऐसे में मज़दूरों को उनके घर भेजना संभव नहीं है।

Last updated: मई 13th, 2020 by Guljar Khan