विगत 5 महीनों के अस्त-व्यस्त जीवन के बाद जब सरकार ने सामान्य जनजीवन बहाल करने के लिए छूट देनी शुरू की है और जिस दिशा निर्देश का पालन करने की सलाह दी गई वह अब मानो एक निर्देश मात्र ही बनकर रह गई है। बैरकपुर से बारासात के बीच चलने वाली बसों में चढ़े यात्रियों की भीड़ इस बात का पुख्ता प्रमाण देती है कि सरकारी निर्देश की स्थिति क्या है ।
5 महीनों के अस्त-व्यस्त जीवन के बाद जन सामान्य अपनी-अपनी रोजी-रोटी कमाने, अपने आर्थिक स्थिति को पुनः बहाल करने तथा नौकरी न छूट जाए इसके लिए भी जान जोखिम में रख बसों में सफर कर रहे हैं।
ज्ञात हो कि सरकार ने रेल सेवा बहाल करने पर अभी तक किसी प्रकार का कोई विचार नहीं किया है इस स्थिति में देश एवं राज्य अनलॉक की प्रक्रिया से गुजर रहा है। इस स्थिति में लोग अपनी नौकरियों को बचाने तथा बदहाल जिंदगी को दुरुस्त करने की मंशा को लेकर अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं। बस की भीड़ यह तो प्रमाणित करती है कि दिशा निर्देश के बावजूद भी सामाजिक दूरी की धज्जियाँ उड़ाई जा रही है, अब आने वाला वक्त ही बात की पुष्टि कर सकता है कि करोना की स्थिति भारत में आखिर क्या रहेगा !