मध्यान्ह भोजन को लेकर प्रखंड स्तरीय मीटिंग में लिए गए कई निर्णय
मधुपुर: प्रखंड कृषि सभागार में मंगलवार को मध्यान्ह भोजन को लेकर प्रखंड स्तरीय स्टेरिंग सह मॉनिटरिंग कमेटी की अहम बैठक हुई। कमेटी के सचिव सह प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी माया शंकर मिश्र ने बताया कि यह बैठक इस सत्र की पहली बैठक है क्योंकि कमेटी का गठन नहीं होने के कारण ही विलंब हुई है।
माया शंकर मिश्र ने बताया कि बैठक का मुख्य उद्देश्य प्रखंड क्षेत्र में जितने भी संचालित सरकारी विद्यालय है। वहाँ के अध्ययनरत बच्चों को मिलने वाले मध्यान्ह भोजन की स्थिति से अवगत होते हुए नियमित संचालन करना है। साथ ही बच्चों को पौष्टिक पोषाहार यानी 300 कैलोरी दिया जाना है। जिस तरह से सर्व शिक्षा अभियान सरकार द्वारा चलाया जा रहा है। उसी तरीके से मध्यान्ह भोजन का भी संचालन किया जाना है।
प्रथम से पंचम तक के प्रति बच्चों को सौ ग्राम चावल एवं कक्षा छह से अष्टम तक के प्रति बच्चों को 150 ग्राम चावल
उन्होंने बताया कि केंद्र एवं राज्य सरकार के राशि से यह योजना चल रही है। इसके तहत कक्षा प्रथम से पंचम तक के प्रति बच्चों को सौ ग्राम चावल एवं कक्षा छह से अष्टम तक के प्रति बच्चों को 150 ग्राम चावल मध्यान्ह भोजन के लिए दिया जाता है। इसके अलावा सरस्वती वाहिनी के खाते में मध्यान्ह भोजन बनाने को लेकर कक्षा प्रथम से पंचम तक के प्रति बच्चों के लिए 4.13 रुपये तथा कक्षा 6 से अष्टम तक के लिए प्रति बच्चे 6 .18 रुपये दिया जाता है।
अतिरिक्त पोषाहार के एवज में बच्चों को सप्ताह में 3 दिन अंडा या फल
झारखंड में कुपोषण की स्थिति को देखते हुए अतिरिक्त पोषाहार के एवज में बच्चों को सप्ताह में 3 दिन अंडा या फल दिया जाना है। इसके लिए प्रति बच्चा चार रुपए दिया जाता है। उन्होंने कहा कि जो बच्चे अंडे नहीं खाते हैं। उन्हें मौसमी फल दिए जाने का प्रावधान है।
3 माह में एक बार स्टेरिंग कमेटी की बैठक होनी है
उन्होंने कहा कि कमेटी का दायित्व है कि मध्यान्ह भोजन का संचालन की मॉनिटरिंग कर व्यवस्थित करना। 3 माह में एक बार स्टेरिंग कमेटी की बैठक होनी है। यह बैठक इस सत्र की पहली है। स्टेरिंग कमेटी में प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी, चिकित्सा पदाधिकारी, कल्याण पदाधिकारी, बाल विकास परियोजना पदाधिकारी इस कमेटी के सदस्य होते हैं। जबकि प्रखंड विकास पदाधिकारी अध्यक्ष, प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी पदेन सचिव के अलावा 3 उपाध्यक्ष जो विद्यालय प्रबंधन समिति के होते हैं साथ ही दो संयोजिका और एक प्रधानाध्यापक मनोनीत सदस्य होते हैं। इस कमेटी में आपूर्ति पदाधिकारी का कार्य चावल की गुणवत्ता को देखने का है। जबकि चिकित्सा पदाधिकारी का कार्य मध्यान भोजन की गुणवत्ता और बच्चों की स्वास्थ्य की जाँच करना है।
बाल विकास परियोजना पदाधिकारी का कार्य आंगनबाड़ी केंद्र से पढ़ कर विद्यालय जाने वाले बच्चों की स्थिति के बारे में जानकारी हासिल कर रिपोर्ट करना है। कल्याण पदाधिकारी बच्चों को मिलने वाली छात्रवृत्ति, साइकिल, पोशाक एवं अन्य सरकारी सुविधाओं के बारे में अवगत कराते हुए लाभ पहुँचाना है। मौके पर प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी हरेंद्र कुमार, कल्याण पदाधिकारी लाल बहादुर शाह, मुखिया सुशील कुमार सिंह सहित कमेटी के सभी सदस्य मौजूद थे।
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