लोयाबाद भीम आर्मी नेशनल कोर्डिनेटर बिरेंद्र पासवान ने हेमंत सोरेन को ईमेल एवं ट्विटर के माध्यम से पूछा है कि झारखण्ड में अनुसूचित जाति / जनजाति समाज के लोगों के साथ झारखण्ड पुलिस सौतेलापन जैसा व्यवहार करती है , क्योंकि झारखण्ड के कई जिलों में ऐसा देखने को मिला है । कई मामले में तो थानाध्यक्ष ने केस लेने से इनकार भी कर दिया जाता है । उस स्थिति में कुछ कोर्ट का सहारा लेते हैं , कुछ लोग ऑनलाइन आवेदन का सहारा लेते हैं , इतना करने के बाद भी प्रशासन अधिकांश मामलों में उनका सहयोग नहीं करती है और अनुसूचित जाति / जनजाति समाज के लोगों को निराशा हाथ लगती है ।
इसका एक मात्र कारण है प्रशासन का सहयोग नहीं करना । केस में निष्पक्ष जाँच नहीं करना और प्रशासन अविलंब कानूनी कार्यवाही करती है , और अनुसूचित / जाति जनजाति समाज के लोगों को मुजरिम साबित करने में लग जाते हैं । अनुसूचित / जाति जनजाति के आवेदन पर अधिकांश मामलों में प्रशासन जाँच के नाम पर कई महीनों तक केस को रोकने का कार्य करते हैं । इसका नतीजा यह होता है कि वह अपने आप को असहाय महसूस करता है , क्योंकि वह थाने का चक्कर लगा-लगा कर परेशान हो जाते हैं , अंत में केस को कंप्रोमाइज करवा दिया जाता है और दोषी बच जाता है।
अतः श्रीमान जी से निवेदन है कि पिछले दो सालों से अब तक अनुसूचितजाति / जनजाति के लोगों ने जितने भी केस दर्ज है उन सब केसों की निष्पक्ष जाँच कराए । ताकि निर्दोषों को न्याय मिल सके ।