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भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक के रूप में मनाई जाती है कार्तिक मांस के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज

रानीगंज । भाई दूज का पर्व भाईयों के प्रति बहनों की श्रद्धा और विश्वास का त्यौहार है । कार्तिक मांस के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाया जाता है। भाई दूज को यम द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को मनाने की वजह क्या है, इस बारे में बहुत ही कम लोगों को जानकारी है, रानीगंज के पंडित प्रमोद जी बताते हैं कि पौराणिक कथा के अनुरूप भाई दूज, भाई के लंबी उम्र के लिए बहन इस त्यौहार को करती हैं।

भाई दूज के दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर और उपहार देकर उसकी लंबी आयु की कामना करती हैं। बदले में भाई अपनी बहन कि रक्षा का वचन देता है। इस दिन भाई का अपनी बहन के घर भोजन करना विशेष रूप से शुभ होता है। मिथिला नगरी में इस पर्व को आज भी यमद्वितीया के नाम से जाना जाता है। इस दिन चावलों को पीसकर एक लेप भाईयों के दोनों हाथों में लगाया जाता है। साथ ही कुछ स्थानों में भाई के हाथों में सिंदूर लगाने की भी परंपरा है। दूसरी ओर कथा है शास्त्रों के अनुसार भाई दूज के विषय में एक पौराणिक मान्यता के अनुसार यमुना ने इसी दिन अपने भाई यमराज की लंबी आयु के लिए व्रत किया था और उन्हें अन्नकूट का भोजन खिलाया था।

कथा के अनुसार यम देवता ने अपनी बहन को इसी दिन दर्शन दिए थे। यम की बहन यमुना अपने भाई से मिलने के लिए अत्यधिक व्याकुल थी। अपने भाई के दर्शन कर यमुना बेहद प्रसन्न हुई। यमुना ने प्रसन्न होकर अपने भाई की बहुत आवभगत की, यम ने प्रसन्न होकर उसे वरदान दिया कि इस दिन अगर भाई-बहन दोनों एक साथ यमुना नदी में स्नान करेंगें, तो उन्हें मुक्ति प्राप्त होगी। इसी कारण से इस इन यमुना नदी में भाई-बहन के साथ स्नान करने का बड़ा महत्त्व है। इसके अलावा यम ने यमुना ने अपने भाई से वचन लिया कि आज के दिन हर भाई को अपनी बहन के घर जाना चाहिए, तभी से भाई दूज मनाने की प्रथा चली आ रही है।

Last updated: नवम्बर 6th, 2021 by Raniganj correspondent